हाथ के हुनर और श्रम के उपेक्षा के चलते बेरोजगारी बना भारत की बड़ी समस्या- डॉ. आनंद सिंह
हाथ के हुनर और श्रम के उपेक्षा के चलते बेरोजगारी बना भारत की बड़ी समस्या- डॉ. आनंद सिंह
गाजीपुर। भारत में बढती हुई बेरोजगारी की समस्या पर प्रकाश डालते हुए सत्यदेव ग्रुप आफ कालेजेज के सीएमडी डॉ. आनंद सिंह ने बेबाक भारत न्यूज डॉट काम को बताया कि हाथ के हुनर व श्रम के अपमान के चलते बेरोजगारी का जन्म हुआ जो धीरे-धीरे भारत में सबसे बडी समस्या के रूप में उभर गया है। आज पढ़े लिखे नौजवानो की भीड़ रोजगार के लिए दिन-प्रतिदिन बढ रही है और श्रम के कारीगरो के संख्या उसी अनुपात में बढ रही है, यह अंग्रेजियन शिक्षा का देन है। लार्ड मैकाले ने गुलाम भारत में ब्रिटानी शासन-सत्ता को चलाने के लिए भारतीय प्राचीन शिक्षा के जगह अंग्रेजियन की शिक्षा प्रदान की जिसमें लोग पढ-लिखकर र्क्लक, आईईएस आदि जगहो पर अंग्रेजो के लिए कार्य करके ईस्ट इंडिया कंपनी का राजस्व इकट्ठा करते थे और शासन प्रशासन चलाते थे। आजाद भारत में भी बहुत दिनो तक उसी शिक्षा पद्धति पर पठन-पाठन का कार्य हुआ जिसके फलस्वरूप दिमागी शिक्षा का महत्व बढता गया और श्रम का महत्व समाप्त होता गया, दोनो के बीच एक गहरी खाई उत्पन्न हो गयी और दिमागी कार्य करने वालो के मन में श्रेष्ठता का बोध उत्पन्न हो गया और श्रम का महत्व घटता गया। आज भी देहात हो या शहर लोग श्रम नही करना चाहते है अपनी खेत-बारी, पशु पालन, परिवारी कारीगरी को छोड़कर पढ-लिखकर सरकारी नौकरी के दौड़ में शामिल हो जाते है। श्रम के उपेक्षा के चलते पढ़े लिखे नौजवानो का धीरे-धीरे कारवां बढ़ता गया और भारत में बेरोजगारी की समस्या बढती गयी। जबतक भारत में श्रम को महत्व नही दिया जायेगा तब तक यह समस्या का समाधान नही हो पायेगा। विदेशो में श्रम के महत्व को प्राथमिकता दी जाती है इसलिए जापान, अमेरिका, इग्लैंड आदि देश विकास की दौड़ में बहुत आगे है।