घोर लापरवाही की कहानी कह रहा गंगा नदी पर बना यह पीपा पुल
घोर लापरवाही की कहानी कह रहा गंगा नदी पर बना यह पीपा पुल
जान जोखिम में डालकर यात्रा करने को मजबूर लोग
गाजीपुर में रेवतीपुर से बच्छलकापुरा-रामपुर के लिए गंगा नदी पर बनाया गया पीपा पुल कभी भी हादसे का शिकार हो सकता है. प्रशासन की लापरवाही के चलते इस पुल पर राहगीरों को जान खतरे में डालकर अपनी यात्रा करनी पड़ रही है।
गाजीपुर: रेवतीपुर से बच्छलकापुरा-रामपुर पीपा पुल गंगा नदी पर बनाया गया है। गंगा नदी पर बने इस पुल पर राहगीरों को जान खतरे में डालकर यात्रा करनी पड़ रही है. गौरतलब है कि पुल पर लकड़ी के स्लीपर कई जगह टूटे हुए हैं. वहीं, लोहे की प्लेट भी आए दिन रेत से ढक जाती है. तार के अभाव में पीपा पुल पर रेलिंग फिलहाल पूरी तरह से नहीं बना हुआ है।
मानक विहीन हुआ है पुलिया का निर्माण
इस पीपा पुल पर रेलिंग भी पूरी तरीके से मानक के अनुरूप नहीं लगाई गई है. रेत में लोहे की चादर बिछाई गई है, ताकि आने वाले वाहनों को पीपा पुल पर चढ़ने-उतरने में सुगमता हो, लेकिन इसके ठीक विपरीत आये दिन प्लेटों पर बालू की परत चढ़ने से राहगीरों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।अधिकतर प्लेटें अपने स्थान से खिसक गयी हैं।अनगिनत प्लेटों का सिरा उपर की तरफ उठ जाने से भी लोगों को आने जाने में काफी असुविधा हो रही है।
पीडब्ल्यूडी विभाग 15 अक्टूबर से 15 जून के बीच पीपा पुल का संचालन करता है. इस पीपा पुल के जरिए मुहम्मदाबाद तहसील से सेवराई तहसील के सीधे जुड़ जाने से लोगों को मुख्यालय होते हुए आने जाने के विकल्प की तुलना में कम समय और कम दूरी तय कर यात्रा करने का विकल्प मिल जाता है। उस पुल की गैरमौजूदगी में यात्रियों को 25 किमी की अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ती है. इस वर्ष यह पीपा पुल अपने नियत समय से 4 महीने बाद आवागमन के लिए शुरू हो पाया है। मरम्मत की वजह फंड का अभाव बताया जा रहा है.
दूसरी तरफ गोदाम में लकड़ी के स्लीपर नहीं होने से भी पीपा पुल की मरम्मत का काम प्रभावित हो रहा है. हालांकि स्थानीय अधिकारियों ने टूटे स्लीपर के जगह पर कुछ लकड़ियों को फिलहाल लगवा कर और अस्थायी व्यवस्था तो कर दी है. लेकिन यह व्यवस्था भी लंबे समय तक जर्जर हो चुके पुल के स्लीपरों को सहारा देने में नाकाफी ही साबित होगी.
जूनियर इंजीनियर ने स्वीकारी खामियां
इस मसले पर पीडब्ल्यूडी के जूनियर इंजीनियर महेंद्र मौर्य ने मीडिया को बताया कि पीपा पुल पर ओवरलोड वाहनों के कारण ऐसी समस्या पैदा हुई है. समय-समय पर पीपा पुल पर जो भी खामियां होती हैं उसको ठीक कराया जाता है. लोहे की प्लेट पर जमी रेत को भी हटाया जाता है, लेकिन हवा के साथ आए दिन रेत का लोहे की प्लेटों पर जम जाना सामान्य बात है.
पीपा पुल पर चलने का समय निर्धारित है, लेकिन स्थानीय लोग 24 घंटे इसका प्रयोग करते हैं. हालांकि वाहनों के वजन का निर्धारण भी पीपा पुल पर चलने के लिए किया गया है. 4 टन से कम वाहन ही पीपा पुल से गुजरने के लिए अधिकृत हैं, लेकिन लोग ओवरलोडिंग करके 4 टन से ज्यादा वजन को भी पीपा पुल के जरिए लेकर जाते हैं. ऐसे में स्लीपर टूट जाता है. विभाग की ओर से मेंटेनेंस के लिए टेंडर के आधार पर काम करवाते हुए जल्द ही सारी खामियों को दूर करा लिया जाएगा।