सुप्रीम कोर्ट ने बताया संयुक्त परिवार की संपत्ति का बंटवारा कैसे हो सकता है
सुप्रीम कोर्ट ने बताया संयुक्त परिवार की संपत्ति का बंटवारा कैसे हो सकता है
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि संयुक्त परिवार की संपत्ति का बंटवारा सभी हिस्सेदारों की सहमति से ही किया जा सकता है। न्यायमूर्ति एस ए नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि बंटवारा उन हिस्सेदारों के कहने पर निरस्त किया जा सकता है जिनकी सहमति प्राप्त नहीं की गई हो। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट कानून है कि कर्ता/संयुक्त परिवार की संपत्ति का प्रबंधक केवल तीन स्थितियों में संयुक्त परिवार की संपत्ति का बंटवारा कर सकता है – कानूनी आवश्यकता, संपत्ति के लाभ के लिए, और परिवार के सभी हिस्सेदारों की सहमति से।
पीठ ने कहा, यह स्थापित कानून है कि जहां सभी हिस्सेदारों की सहमति से बंटवारा नहीं किया गया हो, यह उन हिस्सेदारों के कहने पर निरस्त हो सकता है जिनकी सहमति प्राप्त नहीं हुई है।
सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ एक याचिका पर यह टिप्पणी की जिसमें एक व्यक्ति द्वारा बंटवारे और उसकी एक तिहाई संपत्ति के पृथक कब्जे के लिए अपने पिता तथा उसके द्वारा लाए गए एक व्यक्ति के खिलाफ दायर मुकदमे को खारिज कर दिया गया था।