नवरात्रि में चार स्वार्थ सिद्धि योग:दो अप्रैल से शुरू होगा वासंतिक चैत्र नवरात्र
नवरात्रि में चार स्वार्थ सिद्धि योग:दो अप्रैल से शुरू होगा वासंतिक चैत्र नवरात्र
चैत्र नवरात्रि दो अप्रैल से शुरू होगी, जिसका समापन 10 अप्रैल को होगा। इस वर्ष माता की आराधना पूरे नौ दिन की जाएगी क्योंकि नवरात्रि में किसी भी तिथि का क्षय नहीं हो रहा । इस वर्ष किसी भी प्रकार का प्रतिबंध न होने से माता रानी के मंदिरों में नवरात्रि की तैयारी जोरों पर है। जिले के सभी देवी मंदिरों में चैत्र नवरात्र को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है।करीमद्दीनपुर स्थित मां कष्टहरणी देवी मंदिर समेत मां दुर्गा मंदिर समेत अन्य देवी मंदिरों में नवरात्र को लेकर विशेष पूजा अर्चना की तैयारी की जा रही है।
मां दुर्गा को सुख – समृद्धि और ऐश्वर्य की दात्री कहा गया है। नौ दिन मां दुर्गा के अलग – अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है । माता की आराधना का यह त्योहार साल में चार बार आता है लेकिन प्रमुख चैत्र और शारदीय नवरात्रि है। नवरात्रि चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होगी।
इस बार किसी भी तिथि का क्षय नहीं होने से पूरे नौ दिन आराधना होगी । हर नवरात्र में मां दुर्गा अलग – अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं और विदाई के वक्त वाहन अलग होता है । इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएंगी। प्रथम दिन घट स्थापना का शुभ मुहूर्त दो अप्रैल सुबह 8.04 बजे से 8.29 तक का है । महाअष्टमी – महानवमी पर विशेष आयोजन होंगे ।
कष्टहरणी धाम के पूजारी राजकुमार पाण्डेय ने बताया कि चैत नवरात्र को लेकर दो अप्रैल को कलश स्थापना की जाएगी। वहीं आठ को नेत्रदान व रात में निशापूजा, नौ को अष्टमी व्रत व 10 को शांति हवन व रामनवमी मनाई जाएगी ।
पूरे साल का सिरमौर है चैत्र माह
दो अप्रैल से हिंदू नववर्ष शुरू हो रहा है। चैत्र महीना पूरे साल का सिरमौर है । इस महीने में करीब 16 तीज – त्योहार आएंगे , जो इसे और भी खास बनाएंगे। उत्सुकता यह है कि यह माह सिरमौर क्यों है ? इसकी सबसे बड़ी वजह शक्ति की आराधना से इस माह की शुरुआत होती है। इस दौरान की गई साधना से ऊर्जा व सकारात्मकता भी मिलती है।
पंडितों का मत है कि चैत्र मास की पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में होती है, इसलिए भी इस महीने को शुभ माना जाता है और इसीलिए इस माह का नाम भी चैत्र है। भगवान ब्रह्मा ने चैत्र मास के शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि का शुभारंभ किया था। वही रामलला और उनके सेवक हनुमान जी का भी प्रकटोत्सव इसी महीने में मनाया जाता है।