भारतीय संस्कृति में नवरात्र में दुर्गा पूजन की परंपरा सदियों से है। ऐसे तो वर्ष में चार नवरात्र हैं, जिनमें देवी पूजन व कन्या पूजन की महिमा है।
भारतीय संस्कृति में नवरात्र में दुर्गा पूजन की परंपरा सदियों से है। ऐसे तो वर्ष में चार नवरात्र हैं, जिनमें देवी पूजन व कन्या पूजन की महिमा है।
उनमें शारदीय व वासंतिक नवरात्र को विशेष महत्व दिया गया है। मानस मर्मज्ञ भागवत वेत्ता महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 श्री शिवराम दास जी फलहारी बाबा अयोध्यावासी बताते हैं कि इसमें प्रतिदिन देवी के विभिन्न रूपों का पूजन और उपाय कर माता को प्रसन्न किया जाता है। नवरात्र में पहले दिन से लेकर अंतिम दिन तक मां को उनका मनपसंद भोग लगा कर भक्तों में वितरित करने से मां का आशीर्वाद बना रहता है।
पहले दिन मां आदिशक्ति के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। इनकी पूजा से साधकों को सभी प्रकार की सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं। मां का वाहन वृषभ है तथा इन्हें गाय के घी अथवा उससे बने पदार्थों का भोग लगाया जाता है।
दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। जो साधक मां के इस स्वरूप की पूजा करते हैं, उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है। साधक दृढ़निश्चयी होते हैं। मां को शक्कर का भोग प्रिय है।
तीसरे दिन मां के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाती है। इनकी कृपा से साधक को संसार के सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। माता को दूध का भोग प्रिय है।
चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने का विधान है। इनकी आराधना करने वाले भक्तों के सभी प्रकार के रोग और कष्ट मिट जाते हैं तथा साधक को मां की भक्ति के साथ ही आयु, यश और बल की प्राप्ति भी सहज ही हो जाती है। मां को भोग में मालपुआ अतिप्रिय है।
पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने वाले साधक संसार के सभी सुखों को भोगते हुए अंत में मोक्ष को प्राप्त करते हैं। मां को केले का भोग अतिप्रिय है।
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां की कृपा से साधक को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इन चारों फलों की प्राप्ति तो होती ही है, वह आलौकिक तेज से अलंकृत होकर सब प्रकार के भय, शोक व संतापों से मुक्त होकर खुशहाल जीवन व्यतीत करता है। मां को शहद अतिप्रिय है।
सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इनके स्मरण मात्र से ही सभी प्रकार के भूत, पिशाच व भय समाप्त हो जाते हैं। मां को गुड़ का भोग अतिप्रिय है।
आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। मां का वाहन बैल है तथा इन्हें हलवे का भोग लगाया जाता है। मां की कृपा से साधक के सभी कष्ट मिट जाते हैं।
नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां का यह रूप सभी प्रकार की ऋद्धियां व सिंद्धियां प्रदान करने वाला है। मां को खीर प्रिय है।
नियम से करें नवरात्र व्रत
देश ही नहीं, विदेशों में भी शक्ति का खास महत्व है। ग्रंथों में बताया गया है कि आप किसी देवता की पूजा करते हैं, परन्तु शक्ति की उपासना बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। भारत में शक्ति की पूजा के लिए नवरात्र का विशेष महत्व बताया गया है। नवरात्र में देवी पूजन और नौ दिन के व्रत की प्रधानता बताई गई है। शनिवार से मां भगवती दुर्गा की उपासना का पर्व वासंतिक नवरात्र शुरू हो रहा है। इन नौ दिनों में व्रत रखने वालों के लिए कुछ नियम भी बताए गए हैं।
व्रत में इन बातों का खास ख्याल रखना जरूरी है
व्रत रखने वाले व्यक्ति को नौ दिनों तक दाढ़ी-मूंछ या बाल नहीं कटवाने चाहिए। नाखून भी नहीं काटने चाहिए।
अगर आप नवरात्र में कलश स्थापना कर रहे हैं व अखंड ज्योति जला रहे हैं तो इन दिनों घर खाली छोड़कर नहीं जाएं।
-इस दौरान प्याज, लहसुन और मांसाहार बिल्कुल न खाएं। नींबू न काटें।