June 20, 2025

वाराणसी से अनिल राजभर कैबिनेट मंत्री, रविंद्र जायसवाल व दयाशंकर दयालु बनें राज्‍यमंत्री

 

वाराणसी से अनिल राजभर कैबिनेट मंत्री, रविंद्र जायसवाल व दयाशंकर दयालु बनें राज्‍यमंत्री

वाराणसी,। शहर उत्तरी से जीत हासिल करने के बाद विधायक रवींद्र जायसवाल (55) को योगी 2.0 सरकार में दोबारा मंत्री पद की जिम्‍मेदारी दी गई है। इस बार उनको राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) का पद दिया गया है। उनके राज्‍यमंत्री पद पर शपथ लेने के साथ ही काशी में उनके समर्थकों में काफी उत्‍साह व्‍याप्‍त हो गया। उनके मंत्री बनते ही परिवार और मित्रों के साथ ही उमर्थकों में खुशी की लहर व्‍याप्‍त हो गई। रवींद्र जायसवाल शहर उत्तरी से तीसरी बार विधायक बने हैं। उनकी शिक्षा एलएलबी, एमकाम हरिश्‍चंद्र पीजी कालेज वाराणसी और मास्टर इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर से है। उनकी कुल चल संपत्ति 18453901 रुपये है। वह मूल निवासी लल्लापुर खुर्द थाना सिगरा के हैं। वाराणसी शहर उत्‍तरी (388) से इस बार उन्‍होंने तीसरी बार जीत हासिल की है। रवींद्र जायसवाल ने शाम 4.53 बजे शपथ ग्रहण किया तो उनके विधानसभा क्षेत्र में समर्थकों में उत्‍साह की लहर नजर आईरवींद्र जायसवाल तीन बार विधायक और दो बार योगी सरकार में मंत्री हो चुके हैं। इस लिहाज से पूर्वांचल में रवींद्र जायसवाल का कद और भी बड़ा हो गया है। पीएम नरेन्‍द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से इस बार भी पूर्व की भांति तीन लोगों को मंत्री का पद दिया गया है। मंत्री पद मिलने के साथ ही रवींद्र जायसवाल उस कतार में खड़े हो गए है जहां लगातार दो कार्यकाल में मंत्री का पद संभालने का मौका मिला है।रवींद्र जायसवाल के अलावा इस बार कांग्रेस से भाजपा में आए दयाशंकर मिश्रा ‘दयालु’ को भी मंत्री बनाया गया है। जबकि, अनिल राजभर को भी दोबारा मंत्री बनाया गया है। इस लिहाज से पूर्व की ही भांति पीएम नरेन्‍द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से तीन मंत्रियों को योगी सरकार में शामिल किया गया है। जबकि रवींद्र जायसवाल के राज्‍यमंत्री पद पर आसीन होने से काशी के विकास की उम्‍मीद बनी हुई है। शिवपुर सीट से दोबारा जीत के बाद अनिल राजभर (49) को दोबारा प्रदेश सरकार में मंत्री बनाया गया है। इस बार उन्‍होंने सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को हराया था। अनिल राजभर वाराणसी में शिवपुर विधानसभा से दूसरी बार विधायक बने हैं। वह एमए भूगोल विषय से हैं और उनकी कुल चल संपत्ति 10970215 रुपये है। उनका मूल निवास नागेपुर सकलडीहा चंदौली जिले में है। वाराणसी से सबसे पहले अनिल राजभर ने मंत्री पद की शपथ शाम 4:40 बजे लिया तो शिवपुर विधानसभा में उनके समर्थक झूम उठे। काशी में अनिल राजभर के दोबारा मंत्री पद की शपथ लेने की जानकारी मिलते ही काशी में उनके समर्थकों में काफी उत्‍साह नजर आया। शिवपुर विधानसभा में भी उनके समर्थकों में काफी उत्‍साह नजर आया। कई जगहों पर उनके समर्थक मंदिर भी पहुंचे और पूजन अर्चन भी किया। वहीं परिवार के लोगों ने भी उनके दोबारा योगी कैबिनेट में शामिल होने की वजह से खूब खुशी जाहिर की है। दरअसल पूर्वांचल में अनिल राजभर का दोबारा योगी कैबिनेट में उसी समय शामिल होना तय हो गया था जब उन्‍होंने शिवपुर से दिग्‍गज नेता और सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को हराया था। अरविंद राजभर ने इस चुनाव में राजभर वोटों के बल पर जीत का दावा करते रहे लेकिन अनिल राजभर ने अपनी बादशाहत शिवपुर में कायम रखी और वाराणसी में कमल खिलाने के लिए काफी मेहनत की और सफलता भी पर्याप्‍त मतों से हासिल की है। दयाशंकर मिश्रा ‘दयालु’ और रवींद्र जायसवाल के अतिरिक्‍त वह तीसरे मंत्री पीएम नरेन्‍द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से हैं। वहीं रवींद्र जायसवाल के अतिरिक्‍त वह दूसरे मंत्री हैं जो योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अपनी वापसी करने में सफल हुए हैं। इस लिहाज से माना जा रहा है कि पूर्वांचल और वाराणसी में अनिल राजभर का सियासी कद और भी ऊंचा हुआ है। पूर्वांचल से भाजपा नेता दया शंकर मिश्रा ‘दयालु’ को इस बार मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। योगी कैबिनेट में उनको राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) बनाया गया है। दयाशंकर 2017 के चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। उन पर विश्वास जताते हुए पार्टी ने पूर्वांचल विकास बोर्ड में उनको उपाध्यक्ष भी बनाया था। अब उनको योगी सरकार में मंत्री का पद देकर उनकी जिम्‍मेदारियों में इजाफा किया गया है। दयाशंकर मिश्रा वाराणसी में डीएवी इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य भी रहे हैंं। शाम 5.01 बजे उन्‍होंने राज्‍यमंत्री पद की शपथ ली तो वाराणसी में उनके समर्थक भी खूब उत्‍साहित नजर आए। वाराणसी जिले से वह एकमात्र ब्राह्मण चेहरा होने की वजह से माना जा रहा है कि उन्‍होंने मंत्री नीलकंठ तिवारी को रिप्‍लेस किया है। शुरुआत में उनके नाम की चर्चा न होने की वजह से भी पूर्वांचल में उनका नाम मंत्रियों के सीन से पूरी तरह गायब था। कांग्रेस से उनका पुराना संबंध होने की वजह से माना जा रहा है कि पार्टी में उनको पर्याप्‍त सम्‍मान इस पद के साथ अब दिया गया है।

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