डिप्टी सीएम केशव मौर्या सहित 11 मंत्री चुनाव हारे

डिप्टी सीएम केशव मौर्या सहित 11 मंत्री चुनाव हारे
लखनऊ. यूपी चुनाव में जिन्हें हार मिली होगी उन्हें तो गम होगा ही, लेकिन उनके लिए ये चुनाव किसी मातम से कम नहीं होगा जो भाजपा के टिकट पर लड़े थे. दरअसल भाजपा में होते हुए उसकी प्रचंड लहर के बाद भी वे डूब गये. हम बात कर रहे हैं योगी सरकार के उन मंत्रियों के बारे में जो पार्टी की तूफानी लहर के बीच चुनाव हार गये हैं. ऐसे कमनसीब मंत्रियों में कई बड़े नाम भी शुमार हैं.हैरानी की बात है कि योगी कैबिनेट के कई मंत्री तो बाकायदा यूपी में अन्य कैंडिडेट के लिए प्रचार करने के लिए भी लगाए गए थे. जबकि इन मंत्रियों की हार की जमकर चर्चा हो रही है. इसमें योगी सरकार के तीन कैबिनेट मंत्री, दो स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री और 6 राज्यमंत्री शामिल हैं.
केशव प्रसाद मौर्य
पहले प्रदेश अध्यक्ष और फिर भाजपा सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की हार यूपी चुनाव का सबसे बड़ा चौंकाने वाला सच रहा है. अपने गृह जनपद कौशांबी की सिराथू सीट से मंझे हुए नेता केशव को एक नई नवेली नेत्री ने शिकस्त दे दी. सपा की पल्लवी पटेल पहली बार केशव को हराने का तमगा लेकर विधानसभा में पहुंचेंगी.
सुरेश राणा
गन्ना जैसे अहम विभाग में कैबिनेट मंत्री रहे सुरेश राणा अपनी सीट नहीं बचा पाये. पश्चिमी यूपी में चुनाव से पहले भाजपा विरोधी लहर चाहे जैसी दिखी हो, लेकिन नतीजों में पार्टी को कोई बड़ा नुकसान नहीं दिखा है. फिर भी सुरेश राणा पराजित हो गये.
मोती सिंह
ग्राम्य विकास के कैबिनेट मंत्री और सीनियर लीडर मोती सिंह प्रतापगढ़ की पट्टी से हार गये. चुनाव से पहले ही ये कयास लगाये जा रहे थे कि इनकी सीट फंसी हुई है. चंबल के डकैत ददुआ के भतीजे राम कुमार ने इन्हें मात दी है.
सतीश द्विवेदी
सतीश द्विवेदी ने 2017 में सिद्धार्थनगर की इटवा सीट से पुराने सपाई माता प्रसाद पांडेय को हराकर जो सुर्खियां बटोरी थीं वो पांच साल में ही लुट गईं. योगी सरकार में उन्हें बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी गयी थी. उन्हें बेसिक शिक्षा में स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया था. माता प्रसाद ने सतीश द्विवेदी से हार का बदला चुका लिया है.
उपेंद्र द्विवेदी
बलिया की फेफना सीट से खेल और युवा कल्याण में स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री उपेंद्र द्विवेदी ने नामांकन के दिन भागते-भागते पर्चा भरा था, लेकिन जीत की दौड़ वे नहीं लगा सके.
रणवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ धुन्नी सिंह
खाद्य और रशद में राज्यमंत्री धुन्नी भैया को भी शिकस्त का सामना करना पड़ा है. वे फतेहपुर की हुसैनगंज सीट से चुनाव लड़े थे.
आनंद स्वरूप शुक्ला
आनंद स्वरूप शुक्ला का जब टिकट फाइनल हुआ तभी ये लग गया था कि शुक्ला चुनाव हार जाएंगे. उनकी मात में अहम भूमिका निभाई एक भाजपा विधायक ने ही. बलिया की बैरिया सीट से भाजपा के विधायक सुरेंद्र सिंह का पार्टी ने इस चुनाव में टिकट काट दिया था. वे बागी होकर निर्दलीय लड़ गये. खुद तो नहीं जीत सके, लेकिन भाजपा के आनंद शुक्ला को हरवा दिए.
चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय
पीडब्ल्यूडी में राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय भी भाजपा की लहर का फायदा नहीं उठा सके. वे चित्रकूट से चुनावी मैदान में थे.
संगीता बलवंत
योगी सरकार में राज्यमंत्री संगीता बलवंत गाजीपुर सदर से चुनाव हार गयी हैं.
छत्रपाल गंगवार
योगी सरकार में राज्यमंत्री छत्रपाल गंगवार भी चुनाव हार गये हैं.
लाखन सिंह राजपूत
योगी सरकार में कृषि राज्यमंत्री रहे लाखन सिंह राजपूत भी अपना चुनाव नहीं बचा पाये हैं. औरैया जिले की दिबियापुर से लड़े लाखन सिंह को किस्मत ने मजे से धोखा दिया है. वे महज 473 वोटों से सपा के प्रदीप कुमार यादव से हारे हैं.