June 20, 2025

जहां रात भर में स्वत: मंदिर का प्रवेश द्वार पूरब से पश्चिम दिशा में घूम गया

इस मंदिर का निर्माण स्वयं ब्रह्मा जी ने किया था

बक्सर जनपद में स्थित बाबा भोले भंडारी की नगरी ब्रह्मपुर, की एक अलग ही विशिष्टता है. यहा पर हरेक जगह से लोग आते है और बाबा की पूजा अर्चना करते है. महा शिव रात्रि के समय का नज़ारा अद्भुत होता है. ये मंदिर बक्सर, आरा, बलिया, छपरा और सासाराम मे बहुत ज़्यादा प्रसिद्ध है. वैसे तो बिहार और उत्‍तर प्रदेश के कोने कोने से श्रद्धालू यहा पर दर्शन करने आते है। लाखो की संख्या में लोग बक्सर गंगा स्नान कर गंगा जल हाथ में या कांवर मे लेकर पैदल महाशिवरात्रि एवम श्रावण मास में ब्रह्मपुर पहूंचते है तथा बाबा का जलाभिषेक करते है।


ऐसी मान्यता हैं की इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान ब्रह्मा ने किया था । वैसे नाम से भी काफी हद तक ये मालूम भी चल रहा है की ब्रह्मपुर का मतलब ब्रह्मा की नगरी। ऐसा कहा जाता है की एक बार मुस्लिम शासक गजनवी इस शिव मंदिर को तोड़ने के लिया आया। यहाँ के लोगों ने उसे ऐसा करने से मना किया और चेतावनी दी की अगर ऐसा करोगे तो भगवान शिव की तीसरी आँख खुल सकती है और वह तुम्हारा नाश कर देंगे क्यों की ये मंदिर कोई व्यक्ति विशेष द्वारा निर्मित नहीं है बल्कि इस मंदिर का शिव लिंग ज़मीन से खुद निकला है और ऐसा चमत्कार है की ये हमेशा बढ़ते रहता है। इस पर गजनवी ने कहा की मुझे ऐसे भगवांन पर विश्वास नहीं है अगर वह सच में दुनिया में है और अगर तुम लोगों की बात में थोडी भी सत्यता है तो रात भर में मंदिर का द्वार पूरब से पश्चिम की तरफ हो जाये (जैसा की हरेक शिव मंदिर का द्वार पूरब की तरफ ही होता है ) फिर मैं भी मान लूँगा और वादा करता हूं की फिर कभी हम लोग दुबारा नहीं लौटेंगे।


ऐसा कहा जाता है अगले सुबह में जब गजनवी मंदिर तोड़ने आया तो देखा की इस मंदिर का द्वार पूरब से पश्चिम दिशा में हो गया था यह देख कर गजनवी हतप्रभ रह गया था।और अपनी सेना लेकर यहां से दूर चला गया।आज भी इस मंदिर का द्वार पश्चिम की तरफ ही है । प्रमाण है की इस मंदिर के शिव लिंग का आकार समय समय पर बड़ा ही होते जा रहा है।

इस मंदिर को लोग बड़ा ही पवित्र मानते है और अलग जगह के लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु जरुर आते है। यहाँ पर लोग आस्था के साथ अपनी शादी भी करवाते है।
ब्रह्मपुर के लोगों के द्वारा विश्व प्रशिद्ध मवेशियों का मेला लगता है ऐसा कहा जाता है की सोनपुर के बाद यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा मेला है जहा पर उत्तर प्रदेश और बिहार के किसान अपने खेती बारी के उदेश्य से मवेशियों की खरीद बिक्री का काम करते है। यह मेला पुरे साल में एक बार लगता है. जो की फाल्गुन के महिने में लगता है।

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