June 20, 2025

शादाब फातिमा के आने से बदल गए जहूराबाद के समीकरण

सुभासपा अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर की वजह से जहूराबाद की सीट विधानसभा चुनाव में काफी सुर्खियां बटोर रही हैं। उनके विवादित बोल और यहां से विधायक रहीं पूर्व मंत्री शादाब फातिमा के आने के बाद समीकरण बदलते हुए नजर आ रहे हैं। भले ही सपा के नेता अपने परंपरागत वोट यदुवंशी और मुसलमान के एकजुटता का दावा कर रहे हैं, मगर बसपा इन वोटों में तेजी से सेंधमारी करके दिग्गजों की नींद उड़ा दी है। यही वजह है कि भाजपा उम्मीदवार कालीचरण की जीत में विजय की चासनी घोलने के लिए एमएलसी चंचल सिंह ने कमान खुद संभाल ली है। उन्होंने चुनावी कार्यालय के उद्घाटन के बहाने जहां अपनी ताकत का एहसास विरोधी पार्टियों को कराया, वहीं कई गांवों में घूमकर कालीचरण के पक्ष में वोट भी बटोरने की कोशिश की।
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के बूते जहूराबाद से पहली बार विधायक बनने वाले ओमप्रकाश राजभर 2022 के चुनाव में भाजपा के साथ न होकर सपा के समर्थन से चुनाव लड़ रहे हैं। विधानसभा वही है, बस दल और दिल बदले हैं। 2017 में भाजपा कार्यकर्ता उन्हें जीताने
के लिए जहूराबाद की गलियों की खाक छान रहे थे। इस बार समाजवादी कार्यकर्ता ओमप्रकाश की जीत में ताकत का तड़का लगा रहे हैं। ओमप्रकाश के सुर भी बदले हुए हैं। हालांकि अंसारियों के करीबी होने के बाद भी जनता उन्हें 2017 की तरह नहीं ले रही है। जहूराबाद में जहां विरोध में नारे लग रहे हैं, वहीं बसपा प्रत्याशी शादाब फातिमा की ओर से राजभर पर तेज हमले किए जा रहे हैं। फातिमा के मैदान में आने से सबसे बड़ा सियासी नुकसान यहां पर सुभासपा और सपा के संयुक्त उम्मीदवार राजभर को हो रहा है। यही नहीं फातिमा ने एक तीर से दो निशाना साधा है। उन्होंने राजपूत, ब्राम्हण और भूमिहार वोटों के साथ ही पिछड़ों को भी अपने पाले में करने की बड़ी कोशिश की है। यही कारण रहा कि एमएलसी चंचल ने यहां की कमान संभाली है। उनके प्रतिनिधि पप्पू सिंह कहते हैं कि जहूराबाद में टीम चंचल कालीचरण को तीसरी बार विधायक बनाने में ताकत के साथ जुटी हुई है। मगर भाजपा से टिकट मांगने वाले युवा नेता रामप्रताप की टीम चुनावी परिदृश्य से गायब रहने के कारण कालीचरण के विजयरथ को कमजोर कर रही है।

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