बी एच यू के असिस्टेंट प्रोफेसर ने श्रीराम की जगह अपनी और सीता की जगह पत्नी की तस्वीर लगाई, एबीवीपी के छात्रों का हंगामा

बीएचयू के एक असिस्टेंट प्रोफेसर के एक कैलेंडर ने विवाद खड़ा कर दिया है। प्रोफेसर ने भगवान श्रीराम की जगह अपनी और माता सीता की जगह पत्नी की तस्वीर लगा दी है। दृश्य कला संकाय में सहायक आचार्य अमरेश कुमार ने इस चित्र को प्रदर्शनी संकाय के अहिवासी कला दीर्घा में लगाई है।
मुकुटधारी श्रीराम-सीता के एक चित्र में माता सीता की छवि तो काल्पनिक है मगर उनके साथ खड़े प्रभु श्रीराम की मुखाकृति की जगह अपनी फोटो लगाई है। इसमें वह चश्मा लगाए हुए हैं। वहीं एक अन्य चित्र में उन्होंने अपना और अपनी पत्नी दोनों की मुखाकृति लगाई है। विरोध शुरू हुआ तो कला दीर्घा से तस्वीर हटा दी गई। मंगलवार को एबीवीपी ने इसे लेकर प्रोफेसर के खिलाफ प्रदर्शन भी किया।
एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय के सिंहद्वार से संगठन का झंडा लहराते हुए जुलूस निकाला। असिस्टेंट प्रोफेसर और डीन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए दृश्य कला संकाय पहुंचे। यहां पहुंचने के बाद छात्रों ने संकाय के प्रवेश द्वार पर धरना दिया धरना शुरू कर दिया। छात्रों ने असिस्टेंट प्रोफेसर अमरेश कुमार और डीन हीरालाल प्रजापति के इस्तीफे की मांग की। इस बीच जब छात्रों के बीच अपना पक्ष रखने के लिए संकाय प्रमुख प्रोफेसर हीरालाल प्रजापति उनके बीच आए तो छात्र उग्रता पर उतारू होने लगे।
हालांकि छात्रों का नेतृत्व कर रहे पदाधिकारियों ने छात्रों को उग्र न होने का अनुरोध किया। बावजूद इसके कुछ छात्र उत्तेजक नारे लगाने लगे। छात्र उनकी बातें सुनने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे बल्कि नारे लगाकर विरोध प्रकट करते रहे।
एक ही नारा एक ही नाम जय श्री राम का नारा लगा लगा कर प्रदर्शनकारी डीन और असिस्टेंट प्रोफेसर अमरेश कुमार के इस्तीफे की मांग करते रहे। छात्रों के इस प्रदर्शन को 2 घंटे से भी अधिक समय बीतने के बाद भी बीएचयू के प्रॉक्टोरियल बोर्ड की ओर से कोई भी अधिकारी या सदस्य मौके पर नहीं पहुंचा था।
असिस्टेंट प्रोफेसर का तर्क
चित्रकार अमरेश कुमार का कहना है कि यह चित्र पहली बार किसी प्रदर्शनी का हिस्सा नहीं बना है। वर्ष 2011 में दिल्ली में आयोजित एक राष्ट्रीय प्रदर्शनी में भी यह चित्र लगाया गया था। हमारे शास्त्रत्त् श्रीराम के घट-घटव्यापी होने की बात कहते हैं। इस दृष्टि से प्रभु प्रत्येक प्राणी में हैं। जब एक चित्रकार को इसकी अभिव्यक्ति करनी होगी तो उसका प्रदर्शन भी ऐसा ही होगा। विवाह मंडप में भी वर-वधु को सीताराम की जोड़ी के रूप में आशीर्वाद दिया जाता है। मैंने किसी की भावना को आहत करने के उद्देश्य से कुछ नहीं किया है।