ओमप्रकाश राजभर की राह अब आसान नहीं है.स्वामी प्रसाद मौर्य की तरह यह भी घिर गये सियासी चक्रव्यूह में
यूपी की सियासत के दो चेहरे एक ओमप्रकाश राजभर दूसरा स्वामी प्रसाद मौर्य। दोनों चेहरों ने भाजपा को सियासी रूप खत्म करने का दावा किया और कसमें खाईं लेकिन आज की तारीख में ये दोनों चेहरे अपनी—अपनी सीट पर राजनीतिक चक्रव्यूह में पूरी तरह से घिर चुके हैं। दोनों सीटों पर बसपा की ओर से बेहद मजबूत प्रत्याशी खड़ा कर देने के बाद दोनों की सियासी राह काफी कठिन नजर आ रही है। यदि बात की जाए गाजीपुर की जहूराबाद सीट की तो यहां से सुभासपा प्रमुख व विधायक ओमप्रकाश राजभर मैदान में हैं। यह उनकी परंपरागत सीट है। इस पर बसपा की ओर से अखिलेश सरकार में मंत्री रहीं शादाब फातिमा को मैदान में उतारकर ओमप्रकाश राजभर की मुश्किलों को बढ़ा दिया गया है। शादाब फातिमा की खासियत है कि उनका व्यक्तिगत वोटबैंक हर जाति व धर्म में हैं। उनकी सेकुलर छवि के कारण समाज के हर तबके में उनके समर्थन करने वाले लोग हैं। साथ ही उनका नाम जहूराबाद के बिकास के संग भी जुड़ा हुआ है। ऐसे में बसपा की ओर से शादाब फातिमा के रूप में एक मजबूत कार्ड जहूराबाद की सियासत में खेला गया है। जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र में बसपा के कोर वोट बैंक दलित समाज की एक काफी अच्छी स्थिति है। ऐसे में बसपा की इस रणनीति के कारण सपा—सुभासपा गठबंधन में हड़कंप मचा हुआ है।भाजपा ने भी पूर्व विधायक कालीचरण राज भर को जहूराबाद से प्रत्याशी बनाकर इनकी नींद उडा दी है.