June 20, 2025

बैरिया विधायक ने दिखाया आईना, जनता का चहेता ही बनता है नेता

बैरिया विधायक ने दिखाया आईना, जनता का चहेता ही बनता है नेता

भारतीय जनता पार्टी द्वारा कराये गये आंतरिक सर्वे में बैरिया विधायक सुरेंद्र सिंह को दुबारा टिकट देने पर जीत पक्की बतायी गयी थी । बावजूद इनका टिकट काटकर ऐसे नेता को टिकट दिया गया जिसका अपने पूर्व के क्षेत्र में विकास न कराने के कारण जनाक्रोश था और आंतरिक सर्वे में भी टिकट देने पर जीत की कोई गारंटी नही थी । ऐसे नेता को बैरिया से भाजपा द्वारा टिकट देते ही इस विधानसभा में जैसे भूचाल आ गया । जिस सुरेंद्र सिंह को भाजपा शीर्ष नेतृत्व यह सोचकर किनारे लगाया कि ये मोदी योगी के चेहरे के सहारे ही विधायक बने थे,टिकट कटने के बाद कुछ नही कर पायेंगे ,सुरेंद्र सिंह ने भाजपा नेतृत्व को जनसमर्थन का ऐसा जनसैलाब दिखा दिया कि आज टिकट काटकर निश्चित रूप से शीर्ष नेतृत्व अफसोस जर रहा होगा ।

 

 

 

सुरेंद्र सिंह ठाकुरों के मध्य पिछले साल के दुर्जनपुर कांड के बाद से ऐसे ठाकुर नेता के रूप में उभरे है जिनके समर्थक करणीसेना भी है । यही नही पूरे पुर्वांचल में ठाकुरों के सर्वमान्य नेता के रूप में पहचान बना चुके है । यह सुरेंद्र सिंह के द्वारा जनता के बीच रहने,त्याग,समर्पण और अपने सहयोगियों के लिये अपनी विधायकी तक दांव पर लगाने के जज्बे के कारण हुआ है । स्वजतियो व समर्थको के लिये ये चट्टान की तरह खड़े हो जाते है । बिना भेदभाव के गरीबो दलितों अल्पसंयको तक के ये सहयोग करने वाले जननेता के रूप में सुविख्यात हो चुके है । ऐसे नेता का टिकट काटकर भाजपा ने मानो बर्रे के झोप में पत्थर मार दिया है । अगर भाजपा इनको पुनः टिकट नही देती है तो संभावना है कि पूरे पुर्वांचल की सीटों पर ठाकुरों के विरोध को झेलना पड़े ।

 

 

 

बागी होने का पुराना इतिहास है बलिया का

1857 का ग़दर हो या 1942 का अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन की वजह से बलिया को आजाद कराने की घटना हो,या तानाशाह बन चुकी इंदिरा गांधी को सत्ता से हटाने का 1977 का आंदोलन हो, सब मे बलिया ने ही अगुवाई की थी । या यह कह सकते है कि बलिया के तासीर में ही अन्याय जोर जुल्म के खिलाफ बगावत का खून हिलोरे मारता है और यही कारण है कि अंग्रेजो ने भी 1942 में बलिया को बागी बलिया कहा था ।

 

 

 

असल मे सुरेंद्र सिंह तो एक चेहरा भर है , बगावत तो बैरिया की उस जनता ने किया है जिसकी नजर में सुरेंद्र सिंह उनके सच्चे रहनुमा दिख रहे है । अगर आज मोदी जी हो या योगी जी हो, दोनों लोगो को जनता ने ही कांग्रेस और सपा के कुशासन से तंग होकर सर्वमान्य नेता बनाया है और आज यही जनता जब इन्ही दोनों नेताओं की अगुवाई वाली पार्टी ने सुरेंद्र सिंह के साथ अन्याय किया तो मुखर होकर सुरेंद्र सिंह के समर्थन में सड़क पर उतर गयी है । यानी सुरेंद्र सिंह भी अब किसी चेहरे के बल पर नही बल्कि खुद चेहरा बनकर उभर चुके है और तूफान की शक्ल में बैरिया से उठते हुए पुर्वांचल की सीटों पर असर डालने वाले है ।

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