पॉलीथिन को समाप्त होने में लगता है एक हजार वर्ष
पॉलीथिन को समाप्त होने में लगता है एक हजार वर्ष
सेण्ट जान्स स्कूल सिद्दिकपुर जौनपुर पॉलीथिन को समाप्त होने में लगता है एक हजार वर्ष
सेण्ट जान्स स्कूल सिद्दिकपुर जौनपुर के प्रधानाचार्य फादर पी विक्टर ने पालिथीन से होने बाले नुकसान के बारे में जागरूक करते हुये कहा की कागज केवल एक से दो माह में समाप्त होकर मिट्टी में मिल जाता है जबकि प्लास्टिक को पूरी तरह से समाप्त होने में 200 साल से 1000 साल तक लग जाते है। हम सभी भली भांति जानते है की पालीथीन बैग जल्दी नष्ट नहीं होते इसके बावजूद भी हम सभी इसका निरंतर अंधाधूंध प्रयोग कर रहे है। अब तो न्यायालय ने भी इसके प्रयोग पर रोक लगा दी है। लेकिन बस इतने से ही इस का निदान नहीं हो जायेगा। हम सभी को इसके लिए दृढ संकल्पित होना होगा। इसे अपने दैनिक जीवन में अमल में लाना होगा। हम सभी इस बारे में जागरूक हों और इसके दुष्प्रभाव को जानें तथा समझें। फादर पी विक्टर ने आगे जानकारी देते हुवे कहा की कागज का थैला एक माह समाचार पत्र डेढ माह संतरे का छिलका छ: माह पेपर नैपकीन चार सप्ताह, केले का छिलका दो से चार सप्ताह सेव का छिलका दो माह प्लाईवुड एक से तीन वर्ष टीन का डब्बा पचास वर्ष चमडे का जूता पच्चीस से चालीस वर्ष प्लास्टिक के कंटेनर चार सौ वर्ष परन्तु सबसे ज्यादा समय पालीथीन बैग को पूरी तरह से समाप्त होने में 200 से 1000 वर्ष लग जाते है।कूडा में फेंकी गयी बस्तुओं में सबसे ज्यादा समय नष्ट होने में पालीथीन ही लेती है। हम सभी प्रयोग करने के बाद जहां भी पालीथीन इधर उधर फेकें है वहा की मिट्टी में पेड़ पौधे फसले कुछ भी नही हो रही है। कारण आप सभी जानते है। हमारे द्वारा फेंके गये पालीथीन पर धीरे धीरे मिट्टी पड जाती है उसका दुष्प्रभाव यह देखने को मिलता है की मिट्टी की नमी समाप्त हो जा रही है। जमीन और पानी के मध्य यही फेंका गया पालीथिन दिवाल का कार्य करने लगता है। अगर हम अपनी धरती को उसर बंजर नहीं देखना चाहते है अगर चारो तरफ हरियाली देखना चाहते है तो निश्चित रूप से हमें अपनी आदतों में सुधार लाने की आवश्यकता है। हमें अपने घर से बाहर निकलते समय कागज के थैले कपडे के झोले लेकर चलने की आदत डालनी होगी। प्रधानाचार्य फादर पी विक्टर ने पालिथीन से होने बाले नुकसान के बारे में जागरूक करते हुये कहा की कागज केवल एक से दो माह में समाप्त होकर मिट्टी में मिल जाता है जबकि प्लास्टिक को पूरी तरह से समाप्त होने में 200 साल से 1000 साल तक लग जाते है। हम सभी भली भांति जानते है की पालीथीन बैग जल्दी नष्ट नहीं होते इसके बावजूद भी हम सभी इसका निरंतर अंधाधूंध प्रयोग कर रहे है। अब तो न्यायालय ने भी इसके प्रयोग पर रोक लगा दी है। लेकिन बस इतने से ही इस का निदान नहीं हो जायेगा। हम सभी को इसके लिए दृढ संकल्पित होना होगा। इसे अपने दैनिक जीवन में अमल में लाना होगा। हम सभी इस बारे में जागरूक हों और इसके दुष्प्रभाव को जानें तथा समझें। फादर पी विक्टर ने आगे जानकारी देते हुवे कहा की कागज का थैला एक माह समाचार पत्र डेढ माह संतरे का छिलका छ: माह पेपर नैपकीन चार सप्ताह, केले का छिलका दो से चार सप्ताह सेव का छिलका दो माह प्लाईवुड एक से तीन वर्ष टीन का डब्बा पचास वर्ष चमडे का जूता पच्चीस से चालीस वर्ष प्लास्टिक के कंटेनर चार सौ वर्ष परन्तु सबसे ज्यादा समय पालीथीन बैग को पूरी तरह से समाप्त होने में 200 से 1000 वर्ष लग जाते है।कूडा में फेंकी गयी बस्तुओं में सबसे ज्यादा समय नष्ट होने में पालीथीन ही लेती है। हम सभी प्रयोग करने के बाद जहां भी पालीथीन इधर उधर फेकें है वहा की मिट्टी में पेड़ पौधे फसले कुछ भी नही हो रही है। कारण आप सभी जानते है। हमारे द्वारा फेंके गये पालीथीन पर धीरे धीरे मिट्टी पड जाती है उसका दुष्प्रभाव यह देखने को मिलता है की मिट्टी की नमी समाप्त हो जा रही है। जमीन और पानी के मध्य यही फेंका गया पालीथिन दिवाल का कार्य करने लगता है। अगर हम अपनी धरती को उसर बंजर नहीं देखना चाहते है अगर चारो तरफ हरियाली देखना चाहते है तो निश्चित रूप से हमें अपनी आदतों में सुधार लाने की आवश्यकता है। हमें अपने घर से बाहर निकलते समय कागज के थैले कपडे के झोले लेकर चलने की आदत डालनी होगी।