आइये जानते है की हम शिवलिंग पर क्यों चढाते हैं बेल पत्र

भगवान शंकर के शिवलिंग पर चढा़ये जाने वाली बस्तुओं में वेल और वेल पत्र जहां एक ओर परिस्थिति वश औषधि है वहीं दूसरी ओर इस पत्ती का एक आध्यात्मिक पक्ष भी है। यूं तो कोई भी पूछ सकता है कि शिव की पूजा अर्चना में जलाभिषेक के साथ वेल की ही पत्ती क्यों चढ़ाई जाती है। संसार में अन्य पेडो की पत्तियां भी तो है।पीपल का पत्ता जिसमें ब्रह्म निवास करते है। आम अमरूद केला जामून पाकर तमाल समेत अनगिनत बृक्ष है जिनकी पत्तियां भी सुग्राह्य हो सकती है किन्तु इन बृक्षों की पत्तियां अपने आप में औषधि होते हुए भी शिवार्चन के लिए अनुपयुक्त है। इस लिये वेलपत्र की उपयोगिता को छोडकर अन्य सभी बृक्षों की पत्तियां टहनियों में एक साथ एक टहनीं में तीन पत्तियां नहीं उत्पन्न होती है जैसा की वेल पत्र में प्राकृतिक बनावट के साथ दृष्टब्य है। इस लिए वेल पत्र का आध्यात्मिक पक्ष भी प्रकट होता है। वस्तुत: संसार के तीन अंक से अभिमंण्डीत जो तत्व है उन सभी तत्वों का प्रतिकात्मक स्वरूप यह वेलपत्र है। जो सर्वकालिक और कालजयी के रूप में युगो युगो से भगवान शंकर के शिवलिंग पर अर्पित किया जा रहा है।

क्या आप जानते है की हम शिवलिंग पर क्यों चढ़ाते है बेल पत्र “

डाक्टर सानन्द सिंह एवं उनकी माता सावित्री सिंह पूजन करते समय

1.तीन गुण-सतोगुण रजोगुण तमोगुण का प्रतीक है यह वेलपत्र।2.तीन अवस्था-वाल्यावस्था युवावस्था और बृद्धावस्था का प्रतीक है।3.तीन ताप-उन्मूलक-दैहिक दैविक और भौतिक तापों का प्रतीक है वेलपत्र।4.त्रिदोष उन्मूलक-वात कफ और पित्त का प्रतीक है यह वेल पत्र।5.त्रिशूल उन्मूलक-तीन प्रकार की पीडाओं मानसिक शारीरिक और दैवकिय पीडा का प्रतीक है।6.त्रिदेव-ब्रह्मा विष्णु महेश का प्रतीक है वेलपत्र।7.त्रिकाल-वर्तमान भूत और भविष्य का प्रतीक है यह वेल पत्र।8.त्रम्बेकम-दुर्गा लक्ष्मी सरस्वती का प्रतीक है यह वेल पत्र।9.त्रिलोक-आकाश धरती एवम पाताल का प्रतीक है यह वेलपत्र।10.ऋतुएं-जाडा गर्मी वरसात चौमासीय ऋतु का प्रतीक है यह वेल पत्र।11.जीवगति-जीवन मृत्यु और मोक्ष का प्रतीक है यह वेल पत्र।12.आध्यात्मिक रूप-ज्ञान भक्ति एवम वैराग्य का प्रतीक है यह वेल पत्र।उपरोक्त बारह चरणों में वर्णित प्रतीकों के रूप में वेल पत्र की एक पृथक पहचान है जिसे किसी भी दशा में नकारा नहीं जा सकता है जबकि क्रमांक 8 पर अंकित तीन माताओं में यथा दुर्गा शक्ति के रूप में लक्ष्मी भक्ति के रूप में और मां सरस्वती मुक्ति के रूप में जगत में ब्याप्त हो जगत का कल्याण करने के लिए कल्याण के देवता भगवान शंकर के शिवलिंग पर अर्पित होती है। वेलपत्र का यह बारह प्रतीक रूप जन सामान्य में बहुचर्चित व बहुप्रचलित नही है और उपरोहित्य कर्म कराने वाले अनेकानेक ब्राह्मण और विद्वतजन या तो प्रतीको से अनभिज्ञ है अथवा सुविज्ञ होकर बताना नहीं चाहते है। यही कारण है कि वेलपत्र पूजा अर्चना की सामग्री बनकर ही युगो युगो से प्रयुक्त हो रही है किन्तु वास्तव में इन्ही महत्वपूर्ण प्रतीकों के कारण यह भगवान शंकर के शिवलिंग पर पूजा एवम जलाभिषेक में अर्पित होता है।

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