अलाव ठंड से बचाव का सुलभ साधन-फादर पी विक्टर
अलाव ठंड से बचाव का सुलभ साधन-फादर पी विक्टर
सेण्ट जान्स स्कूल सिद्दिकपुर जौनपुर के प्रधानाचार्य फादर पी विक्टर ने कहा की आजकल शीत लहर का प्रकोप चल रहा है ऐसे में उससे बचाव जरूरी है।खासकर बच्चे और बूढ़ों का विशेष ख़याल रखना चाहिए।गर्म कपड़े पहनने चाहिए।बाहर निकलते समय कानों को ढँकना जरूरी है।ठंड कान से और पैर के तलवे से शरीर में प्रवेश करती है इसलिए इसका विशेष ध्यान देना चाहिए।बचाव के लिए अलाव सुलभ साधन है।गाँव-गिरांव में अब भी कौड़ा जलाने की प्रथा है जो बहुत कारगर है।इस समय खानपान पर भी ध्यान रखना चाहिए।वसायुक्त भोजन के अतिरिक्त गर्म पानी और उष्ण पेय पीना हितकर होगा।अजवाइन का काढ़ा विशेष रूप से फायदेमंद है।दिनभर में एक बार गिलोय का काढ़ा जरूर लेना चाहिए जो शरीर में रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।इस मौसम में दो जवा लहसुन खाना चाहिए जिससे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा पर नियंत्रण हो।गुनगुने पानी में शहद और नींबू का सेवन करना चाहिए।अत्यधिक सुबह टहलने से बचना चाहिए।सुबह सुबह शीत के कारण हानि पहुँच सकती है।शरीर को गर्म रखने के लिए इंडोर गेम या एक्सरसाइज करनी चाहिए।नियमित प्राणायाम करना भी लाभदायक होगा।जाड़े के कारण शरीर की घमनियाँ सिकुड़ने लगती हैं जिससे हृदय के रोगियों को दिक्कत हो सकती है,लकवा होने का खतरा रहता है , ऐस में उन्हें गुनगुने पानी में नमक डालकर नहाना चाहिए।
हृदय के रोगियों एवं उम्रदराज लोगों को अर्जुन-छाल के काढ़े का सेवन करना चाहिए।इस मौसम में पशुओं की देख रेख करना बहुत जरूरी है।वे हमारे आश्रित होते हैं।कुत्तों को विशेष कपड़ों से ढँकना,गाय-भैंस को कम्बल या जूट से बने ओढ़ावन ओढ़ाना चाहिए।उनके पास अलाव जलाना श्रेयस्कर होगा।हमारे विद्यालय में भी अलाव की व्यवस्था की गई है जिससे अध्यापक-अध्यापिका एवं कर्मचारी बीच में आग ताप सकें और गायों को राहत मिल सके।ऐसे मौसम में धूप निकलने पर घूप में बैठना चाहिए।हाथ-पैरों में सरसों के तेल का मालिश करना चाहिए।आग सीने के तरफ से और धूप पीठ के तरफ से सेंकना चाहिए।खानपान-पहनावे आदि द्वारा ठंड से बचा जा सकता है।