नेता नहीं,मसीहा’!, राजीव राय की पहल से द.अफ्रीका से मऊ आ सका अवधेश राजभर का शव
नेता नहीं,मसीहा’!, राजीव राय की पहल से द.अफ्रीका से मऊ आ सका अवधेश राजभर का शव
राजनीति जिसका कर्म बन गया हो, लेकिन राजनीति के साथ-साथ दर्द, तड़प, बेसहारा और असहायों की मदद करना जिसका धर्म बन गया हो उसे अब राजीव राय के नाम से जाना, पहचाना और पुकारा जाने लगा है। वैसे तो मेरी ये बात किसी को राजीव राय के पक्ष में तारीफ लग सकती है, लग सकती है, तो लगे, लेकिन जब किसी के द्वारा ऐसा कुछ किया जाए जिसके प्रति शब्द तारीफ की ही निकले तो तारीफ होनी चाहिए। वैसे तो राजीव राय ने जो काम किया वह काम तो एक सरकार को करनी चाहिए थी, पीड़ित के एक शिकायत पर सरकार को तुरन्त पहल कर उसकी मदद करना चाहिए था, लेकिन ऐसा न हो सका, तभी तो पीड़ित का दर्द प्रशासन वाया सरकार के कान में न पंहुची बल्कि राजीव राय के कानों में गूंजी।
और पीड़ित की समस्या सुन तो एक पल राजीव राय भी सहम गये, लेकिन उन्होंने वहीं प्रण कर लिया यह काम तो मैं कराक रहूंगा। उन्हें इस बात का दुख था, कि लोग जिन्दा इन्सान को ढूंढने में मदद मांगते हैं यहां तो परिजन सिर्फ लाश की दरकार कर रहे हैं।
जब पहली बार उनके पास यह बात कही गई तो वह भावुक हो गये, फिर अपने को संभाला और कहे बाबू हम देखते है
जी हां मैं बात कर रहा हूं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव व प्रवक्ता राजीव राय की जिनके मदद से लगभग एक माह पूर्व विदेश में मृत मऊ के अवधेश राजभर की लाश आयी है।
और उस लाश की एक झलक पाने को अपने जीवन साथी की एक झलक देखने को जिसकी पत्नी, मां, बहन, बेटी, पिता भाई, बेटा व अन्य कई रिश्तों की आंखें पथरा गई थी। सोचिए क्या बीत रहा होगा किसी पर जब उसका कोई विदेश में मर गया हो और उसकी लाश आने की उम्मीदें न दिखती हो, ऐसे में रोशनी बन मौत में भी लोगों को सुकून दे गयें राजीव राय।
बताते चलें कि मऊ जनपद के घोसी थाना के टगुनिया निवासी रामाशीष राजभर के बड़े पुत्र अवधेश राजभर अपने परिवार के भरण पोषण हेतु कई वर्षों से वेस्ट अफ्रीका के एक छोटे से देश बुर्किना फासो में एक ऑक्सीजन गैस प्लांट की कम्पनी में काम करते थे। लगभग 30 दिन पहले उसके मृत्यु की सूचना परिवार को मिली। सूचना मिलने के दिन से ही पूरा परिवार व सभी रिश्तेदार शव के आने का इंतजार कर रहे है। काफी दूर विदेश में होने के कारण कोई सही सूचना प्राप्त नही हो रही थी। इधर परिजनों का एक-एक दिन मुश्किल से कट रहा था। कम्पनी, एजेंट की तरफ से संतोष जनक उत्तर न मिलने पर इसकी जानकारी होने पर मृतक के छोटे भाई ने अपने बुआ के लड़के, मऊ नगर पालिका परिषद के सभासद व सपा नेता धीरज राजभर को दी। धीरज राजभर ने परिवार की व्यथा को अवधेश के परिजनों के साथ राजीव राय को बताई। सपा नेता राजीव राय ने दुःखी परिवार की मदद करने की बात की। राजीव राय ने वेस्ट अफ्रीका के देश बुर्किना फासो मे अपने मित्र व वहाँ के मंत्री इद्रीश से बात की।
अपने स्रोत से राजीव राय अवधेश राजभर के कम्पनी के एमडी व अपने किसी मित्र से बात किए और बगल देश के इंडियन एम्बेसी से मीटिंग करा कर शव को वापस इंडिया भेजने के आश्वासन पर आश्वस्त होकर परिजनों को सूचना देते रहे। इस संदर्भ में कई चक्र व विदेश व अन्य जगह बात करते रहें। अंततः वह दिन आ गया और वेस्ट अफ्रीका के छोटे से देश बुर्किना फासो से अवधेश राजभर का शव भारत के लिए चला। रविवार को शव दिल्ली एयरपोर्ट पंहुचा और वहां से राजीव राय के आर्थिक मदद से एम्बुलेन्स के द्वारा दिल्ली एयरपोर्ट से मऊ के लिए चला। सोमवार को शव मऊ के घोसी थाना क्षेत्र के गोविन्दपुर टगुनिया पंहुचते ही घर में कोहराम मच गया और एक माह से रोते-रोते पत्थर हो चुके लोग दहाड़ मारकर रोने लगे। पूरा गांव अवधेश की एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ा। रोते-रोते भी परिजनों का बुरा हाल था, परिजनों ने कहा हे ईश्वर राजीव राय को संभाल कर रखना वह मामूली इंसान नहीं हैं उनके ही मदद से हम अपने मृत बेटे का मुंह देख पाए।
भईया जी आप नेता ही नही मऊ जनपद के गरीबो, पीड़ितों एवं जरूरतमंदों के लिए मसीहा हैं : धीरज
अवधेश के रिश्तेदार सभासद धीरज राजभर राजीव राय के प्रति लिखते हैं, भईया आपके निरन्तर प्रयास के वजह से घोसी निवासी मृतक अवधेश राजभर का पार्थिव शरीर वेस्ट अफ्रीका से भारत आ सका और आप के ही दिए गए आर्थिक मदद से एम्बुलेन्स द्वारा दिल्ली एयरपोर्ट से ग्राम गोविन्दपुर टगुनिया घोसी मऊ वापस आया है, उन्होंने कहा कि मृतक अवधेश राजभर को एक नजर देखने के लिए उनकी दुःखी पत्नी एवं छोटे मासूम बच्चे के आंख से लगभग 1 महीने से आँसू रुकने का नाम नही ले रहे थे आप ने जिस तरह पूरे पीड़ित परिवार का आँसू पोछने का काम किया है वह केवल एक नेता नही कर सकता। उस परिवार के सभी लोग दिल से आज आप को दुआएं दे रहे हैं। आप को दिल से धन्यवाद, बहुत बहुत धन्यवाद।
सभी ने राजीव राय को कहा धन्यवाद…
रिश्तेदार एवं गांव के लोगों द्वारा भी राजीव राय द्वारा किए इस नेक काम की चर्चा एवं प्रशंसा हो रही है। लोगों ने कहा एक महिना से अवधेश के पार्थिव शरीर के लिए परिजन इंतजार कर रहे थे लोगों का रो-रो कर बुरा हाल था परिजनों की तो उम्मीद ही टूट गई थी कि अवधेश के अंतिम दर्शन लोग कर पाएंगे। लेकिन वह तो भला हो राजीव राय का कि जो उनके इस पहल से अवधेश का मृत शरीर विदेश से मऊ आया और लोग उनका अंतिम दर्शन कर सके और पत्नी बच्चे मां पिता भाई-बहन एवं अन्य रिश्तेदार उसकी अंतिम दर्शन करके अपनी संवेदना व्यक्त कर सकें।
मऊ के दोहरीघाट घाघरा नदी के मुक्तिधाम पर हुआ अंतिम संस्कार…
अवधेश राजभर मृत शरीर सुबह दिल्ली से मऊ जनपद के घोसी स्थित गोविंदपुर टगुनिया आया जहां पर लोगों ने उनका अंतिम दर्शन किया वहां से उनका शव परिजन मऊ के दोहरीघाट घाघरा नदी के मुक्तिधाम पर ले जाकर अंतिम संस्कार किए।