June 20, 2025

आस्था और विश्वास का पर्व लोहड़ी कल, जानें क्‍या है परंपरा…

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आस्था और विश्वास का पर्व लोहड़ी कल, जानें क्‍या है परंपरा…

लखनऊ। लोहड़ी का नाम आते ही मन में खुशी और उल्लास का दृश्य आंखों के सामने आ जाता है। ढोल ताशे पर भांगड़ा और गिद्दा का मनोरम दृश्य का सुखद एहसास पर्व को लेकर आस्था और विश्वास को और प्रगाढ़ करता है। भांगड़ा-गिद्दा के साथ पंजाबी-सिख समाज उल्लास के पर्व को लेकर तैयारी पूरी कर चुके हैं। 13 जनवरी को गुरुद्वारों के साथ ही मुहल्लों में पर्व परिवार के साथ मनाया जाएगा। कोरोना संक्रमण के चलते छोटे स्तर पर आयोजन होंगे बाजारों में भी लावा, मूंगफली और रेवड़ी-गजक की दुकानें सज गई हैं। दुल्ला नाम डाकू के नाम से यह पर्व मनाया ताता है। लोहड़ी मनाने के पीछे कथा है कि दुल्ला नामक डाकू अमीरों को लूट कर गरीबों का दान करता था। एक दिन उसके साथियों ने एक विवाहिता को लूटकर उसे साथ ले गए और डाकू के सामने पेश किया। डाकू साथियों पर नाराज हुआ और लड़की को उसके पिता के घर भेज दिया। पिता ने उसे स्वीकार करने से मना कर दिया। उसने ससुराल पक्ष को भेजा तो उन्होंने ने भी अपनाने से मना कर दिया। डाकू ने उसे अपनी बेटी का दर्जा देकर लोहड़ी के दिन ही धूमधाम से शादी की। उसी खुशी के उल्लास में हर साल यह पर्व मनाया जाता है। नव दंपति और संतान सुख की प्राप्ति वाले घरों में लोहड़ी खास होती है। कोरोना संक्रमण के चलते गुरुद्वारा नाका हिंडोला समेत अन्य गुरुद्वारों में छोटे आयोजन की अपील की गई है।

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