June 19, 2025

महिलाओं के उत्थान के लिए सावित्री बाई फुले का योगदान भुलाया नही जा सकता–जगदीश कुशवाहा

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महिलाओं के उत्थान के लिए सावित्री बाई फुले का योगदान भुलाया नही जा सकता–जगदीश कुशवाहा

गाजीपुर। समाज सुधार की अग्रणी महिला और दलितों पिछङों के उत्थान के लिए संघर्षरत सावित्रीबाई फुले की जयन्ती समारोह महात्मा ज्योति राव फूले पब्लिक स्कूल गाजीपुर मे मनाया गया। इस अवसर पर संबोधित करते हुए पूर्व सासंद जगदीश कुशवाहा ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने समाज के दबे कुचले, पिछङों,दलितो तथा समाज के उपेक्षित महिलाओं के विकास के लिए आजीवन संघर्ष किया उनकी सोच थी जब तक महिलायें स्वालम्बी नही होगी देश व समाज का विकास नही होगा। श्री कुशवाहा ने कहा सावित्रीबाई फूले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को खन्दोजी नेवसे के घर हुआ। 1840 में 9 वर्ष की उम्र में सावित्री का विवाह ज्योति राव फुले के साथ हो गया था। उनका जीवन साथी एक आदर्श पुरूष था। जो महिलाओं की शिक्षा का समर्थक था। जिसने सावत्री को स्वयं पढ़ाकर शिक्षिका बनाया।जब महात्मा ज्योतिबा फुले को उनके रूढ़िवादी पिता ने घर से निकाल दिया था, तब उस्मान शेख ने महात्मा फुले को रहने के लिए घर दिया और उनके शिक्षा कार्य को बढ़ाने के लिए अपनी बहन फातिमा शेख को सावत्री बाई फुले की सहायता के लिए शिक्षिका बनाया। सावित्री बाई फुले भारत की पहली शिक्षिका थीं। 1848 से लेकर 1852 के बीच केवल चार साल की अवधि में उन्होंने 18 स्कूल खोले थे।पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा ने कहा ज्योतिबा फुले और सावत्रीबाई फुले दुनिया के इतिहास में अदभुत पति पत्नी हुए हैं, जो दोनों ही महान समाज सुधारक रहे हैं। 28 नवम्बर 1890 को महात्मा ज्योतिबा फुले की मृत्यु के बाद उनके अनुयायियों के साथ सावित्रीबाई फुले ने भी सत्य शोधक समाज को दूर-दूर तक पहुँचाने, अपने पति महात्मा ज्योतिबा फुले के अधूरे कार्यों को पूरा करने व समाज सेवा का कार्य जारी रखा। सन् 1897 में पुणे में भयंकर प्लेग फैला। प्लेग के रोगियों की सेवा करते हुए सावित्रीबाई फुले स्वयं भी प्लेग की चपेट में आ गईं और 10 मार्च सन् 1897 को उनका निधन हो गया। रामनरेश कुशवाहा ने कहा जिस समाज की भलाई के लिए सावत्री बाई फुले ने पूरा जीवन लगा दिया उसी अज्ञानी रूढ़िवादी समाज ने बदले में उनका तिरस्कार किया, उपहास उड़ाया, उन पर कीचड़ गोबर तक फेंका गया। लेकिन सही मायने में समता ममता शिक्षा की साक्षात देवी सावत्रीबाई फुले ने उनकी अज्ञानता पर दया करते हुए समाज सेवा का कार्य निरन्तर जारी रखा।उनके द्वारा दिया गया संदेश सदॆव आने वाले पीढी के लिए प्रेरणा स्रोत का काम करेगा। इस अवसर पर नरेन्द्र कुमार मॊर्य,जीतेन्द्र कुशवाहा,डा० शिवकुमार व डा० संतोष कुशवाहा,अशोक कुशवाहा सुरेन्द्र,प्रमोद ,रामवचन ,डा०संजय कुशवाहा,रामनरेश मॊर्य,रमाशंकर व रामकिशुन एडवोकेट ,अवधेश ,रामवृक्ष ,धर्मराज ,हंसराज कुशवाहा आदि लोग प्रमुख रुप से मौजूद थे।अध्यक्षता देवनाथ कुशवाहा व संचालन राजपति एडवोकेट ने किया।

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