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भारतीय संस्कृति में स्त्री की भूमिका पुरुष से कहीं अधिक सम्माननीय है-फादर पी0 विक्टर - बेबाक भारत II बेबाक भारत की बेबाक खबरें

भारतीय संस्कृति में स्त्री की भूमिका पुरुष से कहीं अधिक सम्माननीय है-फादर पी0 विक्टर

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जौनपुर जनपद के सेण्ट जान्स स्कूल सिद्दिकपुर के प्रधानाचार्य एवं मिशन ग्रीन जौनपुर के संरक्षक फादर पी विक्टर ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में बेबाक भारत से बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की उपलब्धियों और नारी-सम्मान के तौर पर समूचे विश्व में मनाया जाता है। हमारे भारतीय संस्कृति में स्त्री की भूमिका पुरुष से कहीं अधिक सम्माननीय है।

हमारे पुराणों में भी नारी को गुरुतर मानते हुए यह कहा गया है कि ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’ अर्थात् जहां नारियों की पूजा की जाती है, महिलाओं को सम्मान मिलता है, देवता का निवास भी वहीं होता है।

नारी-सृजन की शक्ति
फादर पी विक्टर ने कहा की महिला के बिना पुरुष अस्तित्व विहीन है। सृष्टि पर मानव जगत का आधार स्त्री ही है। नारी को सृजन की शक्ति मानकर समूचे विश्व में 8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

सैकड़ों वर्ष पूर्व सतयुग, त्रेता और द्वापर युग में देवता भी नारी की शक्ति का सम्मान करते थे। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के मूल में महिलाओं को कुरीतियों के मझधार से निकालकर उसे विकसित, परिष्कृत और सुसंस्कृत करना है। इसका उद्देश्य ना केवल खुद को सशक्त होना है बल्कि एक शक्तिशाली समाज के निर्माण में भरपूर योगदान करना है।

पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस सबसे पहले अमेरिका में सोशालिष्ट पार्टी के आह्वान पर 28 फरवरी 1909 को मनाया गया था। अमेरिका में उस समय महिला दिवस मनाए जाने के पीछे महिलाओं को वोट देने का अधिकार हासिल करना था।

क्योंकि तत्कालीन परिस्थिति में संपूर्ण विश्व में कहीं भी महिलाओं को वोट देने का अधिकार प्राप्त नहीं था। महिला दिवस की महत्ता तब और अधिक बढ़ गई जब रूस की महिलाओं से रोटी और कपड़े के लिए वहां की तत्कालीन सरकार के लिए आन्दोलन छेड़ दिया।

जब यह आन्दोलन प्रारंभ हुआ उस समय वहां जुलियन कैलेंडर के मुताबिक 28 फरवरी, रविवार का दिन था। लेकिन ग्रेगेरियन कैलेंडर के मुताबिक यह दिन 8 मार्च को पड़ता था इसलिए कालांतर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 28 फरवरी को ना मनाकर 8 मार्च को मनाया जाता है। भारत में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की उपलब्धियों और नारी-सम्मान के तौर पर मनाया जाता है।

फादर विक्टर ने कहा की भारतीय संस्कृति में महिला को माता का स्थान दिया गया है। इतिहास के पन्ने नारी के गुणगान से भरे हैं। भारत की आजादी में रानी लक्ष्मीबाई जैसी ना जाने कितनी वीरांगनाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी।आज वर्तमान में भी महिलाएं पुरूषों के मुकाबले किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है वल्कि पुरूष समाज के समानांतर उनके कंधे से कंधा मिलाकर हर जिम्मेदारी का कुशलतापूर्वक निर्वहन कर रही है।भारतवर्ष का वेद पुराण एवं इतिहास इनसे भरा है।भारतवर्ष में तो ज्ञान की देवी सरस्वती शक्ति की देवी मां दुर्गा और धन की देवी के रूप में मां लक्ष्मी की पूजा आदि काल से की जा रही है।हिन्दू धर्म में त्रिदेव हैं तो तीन देवियां भी है।सीता सावित्री गायत्री अनसुईया पार्वती तारा सुलोचना कौशल्या कैकेयी सुमित्रा सुलोचना देवकी यशोदा मीरा राधा के जीवनी एवम उनके चरित्र से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।फादर विक्टर ने कहा की नारी अबला नहीं सबला है.नारी के बिना श्रृष्टि में कुछ भी संभव नहीं है।हम सभी को नारी के हर रूप का सम्मान करना चाहिए चाहे वह किसी रूप में हो।@विकास राय

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