March 29, 2025

प्रभु ईसा मसीह का अवतरण प्रेम,दया,करुणा एवं मानवता के लिए हुआ था—फादर पी विक्टर

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प्रभु ईसा मसीह का अवतरण प्रेम,दया,करुणा एवं मानवता के लिए हुआ था—फादर पी विक्टर

सिद्धिकपुर के प्रधानाचार्य फादर पी विक्टर ने समस्त देशवासियों को क्रिसमस पर्व की दी बधाई

सेंटजॉन्स स्कूल सिद्धिकपुर, के प्रधानाचार्य फादर पी विक्टर ने सभी को क्रिसमस पर्व की बधाई देते हुए कहा कि ईसा का जन्म मानव के प्रति परमेश्वर के प्रेम को प्रकट करता है।उनका अवतरण प्रेम,दया,करुणा एवं मानवता के उत्थान के लिए ही हुआ था।पवित्र ग्रन्थ बाइबिल में बताया गया है कि मानवता के प्रति असीम प्रेम के कारण ही ईश्वर ने अपने एकलौते प्रिय पुत्र ईसा को इस संसार में भेजा। ईसाई धर्म में ईश्वर के तीन स्वरूप बताए गए हैं- पिता, पुत्र एवं पवित्र आत्मा।ये तीनों परमेश्वर सृष्टि के प्रारंभ से ही एकसाथ अस्तित्व में है, परंतु 2000 वर्ष पूर्व ईसा मसीह ने (परमेश्वर के पुत्र) मनुष्य के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया। पवित्र शास्त्र कहता है- ‘परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करें, वह नष्ट न हो, परंतु अनंत जीवन पाए।
ईश्वर ने मानव को स्वयं के स्वरूप में रचा, परंतु मानव पाप करके ईश्वर से दूर भटक गए। इसी खोई हुई मानव जाति को वापस अपने पास लाने के लिए ईश्वर ने ईसा मसीह को मानव के रूप में जगत में भेजा। मनुष्य की सृष्टि के बारे में पवित्र ग्रन्थ में लिखा है- ‘परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की।
मानव ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना है। ईश्वर मानव से प्रेम रखता है और यही चाहता है कि मानव उसकी संगति एवं निकटता में रहे। अदन की वाटिका में परमेश्वर आदम तथा हव्वा के साथ संगति रखते थे, परंतु इन दोनों ने ईश्वर की आज्ञा का उल्लंघन करके पाप किया। इस प्रकार ईश्वर और मानव के बीच एक खाई उत्पन्न हुई। इस खाई को दूर कर मानव को वापस अपने निकट लाने के लिए परमेश्वर ने अपने पुत्र ईसा मसीह को मानव के रूप में जगत में भेजा। यह लूका रचित सुसमाचार के पंद्रहवें अध्याय में लिखा हुआ उडाव पुत्र की कहानी से मिलता-जुलता है।
उडाव पुत्र अपने पिता का दिल तोड़कर अपना हिस्सा लेते हुए घर से निकल गया, परंतु पिता उससे निरंतर प्रेम करता रहा और उसके लौटने का इंतजार करता रहा। इसी प्रकार परमेश्वर भी प्रत्येक मानव के लौटने का इंतजार करता रहा ।ईसा मसीह जब पृथ्वी पर रहे, अपने साथ चलने एवं कार्य करने के लिए बारह शिष्यों को चुना। उन्होंने उनको यह सिखाया कि आपस में प्रेम रखें। निःस्वार्थ प्रेम ही ईसाई धर्म का पहला सिद्धांत है।
क्रिसमस शांति का भी संदेश लाता है। पवित्र शास्त्र में ईसा को ‘शांति का राजकुमार’ नाम से पुकारा गया है। ईसा हमेशा अभिवादन के रूप में कहते थे- ‘शांति तुम्हारे साथ हो।’ शांति के बिना कोई भी धर्म का अस्तित्व संभव नहीं है। घृणा, संघर्ष, हिंसा एवं युद्ध आदि का धर्म में कोई स्थान नहीं। ईसा के जन्म के समय स्वर्गदूतों ने गाया- ‘आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है, शांति हो।
शांति एवं सद्भावना ईसाई धर्म के बुनियादी आदर्श हैं। पहाड़ी उपदेश के दौरान ईसा ने कहा- ‘धन्य है वे जो मेल कराने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएँगे। धार्मिक कट्टरपंथ, पूर्वाग्रह, घृणा एवं हिंसा किसी भी धर्म का आधार नहीं बन सकता है।
दूसरों की गलतियों को माफ करना ईसाई धर्म का एक अन्य महत्वपूर्ण सिद्धांत है। ईश्वर के निकट जाने के लिए दूसरों की गलतियों को हृदय से माफ करना नितांत आवश्यक है। ईसा ने स्वयं अपने अपराधियों को क्षमा कर उदाहरण प्रस्तुत किया है,वैसे ही आचरण अपने विश्वासियों भी करने की सलाह दी।ईसा के अनुसार दूसरों को माफ करने के लिए कोई शर्त नहीं रखी जाना चाहिए।
त्याग एवं सेवा की भावना भी ईसा की शिक्षा के मुख्य भाग रहे हैं। ईसा के कुछ चेले जैसे पतरस, याकूब, यूहन्ना आदि मछुवारे थे और उनके काम के स्थान से ही यीशु ने उन्हें बुलाए थे। यीशु ने कहा- ‘मेरे पीछे चलो, मैं तुम्हें मनुष्य को पकड़ने वाला बनाऊँगा।’ दूसरे शब्दों में ईसा ने उनको इसीलिए बुलाया कि उनके द्वारा अन्य मनुष्यों के जीवन में सुधार हो सके। जब यीशु ने उन्हें बुलाया तो वे सब कुछ छोड़कर उनके पीछे हो लिए। सांसारिक संपत्ति और वस्तु ईसा के पीछे चलने में बाधा नहीं बनना चाहिए।
यीशु ने अपने शिष्यों से कहा- कोई अपने आपको इंकार करने और अपना क्रूस उठाने में असमर्थ है तो वह मेरे योग्य नहीं है। ईसा के अनुसार उनके अनुयायियों को दुःख उठाने एवं यहाँ तक कि अपने प्राण त्याग के लिए भी सर्वदा तैयार रहना चाहिए। इसीलिए कहा- ‘शहीदों का रक्त ही कलीसिया का ब‍ीज है।’
क्रिसमस का शुभ संदेश वर्तमान जगत के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज सपूर्ण विश्‍व स्वार्थ, घृणा, हिसा, शोषण, उत्पीड़न, भ्रष्टाचार, युद्ध आदि से भरा है।प्रभु ईसा के जन्म का पावन पर्व क्रिसमस सम्पूर्ण संसार के लिए शुभ हो और समस्त अमंगल का नाश हो।

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