हिन्दू एकता महाकुंभ में मोहन भागवत ने भारतीय संस्कृति का किया लोकार्पण आधुनिक पीढ़ी को हिन्दू संस्कृति के लिए पथप्रदर्शक बनेगीः संजय शेरपुरिया

हिन्दू एकता महाकुंभ में मोहन भागवत ने भारतीय संस्कृति का किया लोकार्पण
आधुनिक पीढ़ी को हिन्दू संस्कृति के लिए पथप्रदर्शक बनेगीः संजय शेरपुरिया
चित्रकूट में महाकुंभ में जुटे हजारों संत व लाखों हिन्दू
संघ प्रमुख ने किया हिदुओं में एकता का आह्वान
हिंदुओं को हिमालय बनना होगाःस्वामी रामभद्राचार्य
चित्रकूट। हिंदुओं के एकता से ही विश्व में मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा। चित्रकूट में आयोजित हिन्दू एकता महाकुंभ के विशाल मंच ने अनेक महत्वपूर्ण संदेश विश्व को दिया है। इसी मंच में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत ने संजय राय शेरपुरिया की पुस्तक हिन्दू धर्म की धरोहर, भारतीय संस्कृति का लोकार्पण भी किया।
उन्होंने कहा कि यह शीर्षक स्वयं में इस पुस्तक का समग्र परिचय करा रहा है। सनातन हिन्दू धर्म क्या है और किस प्रकार से यह भारतीय संस्कृति की अमूल्य निधि के रूप में निरंतर क्रियाशील है, यही तथ्य इस पुस्तक के आधार तत्व हैं। यज्ञ, हवन, शंख, पद्म, गाय, त्रिशूल, मंदिर, देवस्थान जैसे शब्द सनातन हिन्दू वैदिक संस्कृति में ही हैं। ये केवल शब्द ही नहीं हैं बल्कि इन शब्दों के उच्चारण में ही ऐसा ध्वनित होता है कि जीवन और जीवन का रहस्य क्या है।
स्वाभाविक है कि जिस प्रकार से समाज बदल रहा है और विश्व पटल पर अनेकानेक उपासना पद्धतियां जन्म ले रही हैं, ऐसे परिवेश में किसी को भी यदि हिन्दू संस्कृति को जानना और समझना है, तो संजय राय शेरपुरिया की इस पुस्तक को अवश्य पढ़ना चाहिए। यह पुस्तक एक ऐसी कुंजिका है। जो भावी पीढ़ी को अपने मूल से जोड़ने और हिन्दू संस्कृति को समझने में सक्षम भूमिका का निर्वहन करेगी।
भगवान श्रीराम की संकल्पभूमि चित्रकूट में हिन्दू एकता महाकुंभ आज अत्यंत उल्लास और नई ऊर्जा के साथ हजारों संतों और लाखों हिन्दू समुदाय की विराट उपस्थिति में पूरी भव्यता के साथ संपन्न हुआ। इस आयोजन के संयोजक तुलसी पीठ के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास और संरक्षक धर्मचक्रवर्ती तुलसीपीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य रहे।
तुलसी पीठाधीश्वर, पद्मविभूषण, जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य के संरक्षण में आयोजित इस महाकुंभ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत इस कार्यक्रम के मुख्यातिथि रहे। इस आयोजन में श्री श्री रविशंकर, साध्वी ऋतंभरा, स्वामी चिदानंद मुनि परमार्थ निकेतन, रमेश भाई ओझा.डाक्टर उमाकांता नन्द सरस्वती, रामविलास दास वेदांती सहित भारत के लगभग सभी सनातन वैदिक हिदू परंपरा के संत और मनीषी हिस्सा लिया। कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति, अयोध्या में भव्य श्रीराममंदिर के निर्माण, काशी में बाबा विश्वनाथ कारिडोर के निर्माण, मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण जनस्थली के उद्धार के साथ अनेक उल्लेखनीय कार्य आगे बढ़ चुके हैं। हिंदुओ की एकता को तोड़ने के लिए जाति, सम्प्रदाय और पंथों के विभाजक षड्यंत्र किए जा रहे हैं।
ऐसे समय में यह आयोजन कई मायनों में महत्वपूर्ण है। विश्व को हिंदुत्व के विराट स्वरूप से परिचित कराने का यह प्रयास है। इस आयोजन में यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि समग्र हिंदुत्व के सभी प्रतिनिधि इसमे शामिल होकर एक मंच से हिन्दू एकता का संदेश देकर सामाजिक एकता को मजबूती प्रदान करें। इस आयोजन में संतो के अलावा देश के सामाजिक सांस्कृतिक क्षेत्र के व्यापक प्रतिनिधित्व की भी कोशिश हुई।