June 19, 2025

वाराणसी की महिलाये पारंपरिक कला एवं शिल्प के माध्यम से होगी सशक्तिकरण ।

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वाराणसी की महिलाये पारंपरिक कला एवं शिल्प के माध्यम से होगी सशक्तिकरण

वाराणसी – 15 दिसम्बर, गाँव की महिलाये भी तकनीक के माध्यम से आगे बढे और उनके द्वारा निर्मित वस्तुओ को लोकल से ग्लोबल स्तर पर एक महत्व मिले | इसके लिए प्रधानमन्त्री के संसदीय क्षेत्र में बनारस में प्रोद्यौगिकी विकास के प्रयोग से इम्ब्रायडरी, हस्तशिल्प एवं घरो में पड़ी वस्तुओ से प्रोडक्ट बनाने की समुचित जानकारी देने में नई तकनीक के प्रयोग द्वारा स्वयं सहायता समूहों (SHGs), कामकाजी और घरो में रहकर कार्य करने वाली महिलाओं के हुनर को तराश कर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने एवं उनके आर्थिक स्तिथि को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से तथा उनके द्वारा किये जा रहे कार्यों को (ड्रेस डिजाइनिंग, सिलाई, कशीदाकारी, जरी जरदोजी आदि) के गुणवत्ता में उचित सुधार कर उनके आजीविका में वृद्धि तथा आर्थिक रूप से उन्हें आत्मनिर्भर करके उनके बेहतर जीवन शैली एवं उनके द्वारा बनाये उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डी.एस.आई.आर.) के सहयोग से एवं साईं इंस्टिट्यूट ऑफ़ रूरल डेवलपमेंट, वाराणसी के तत्वाधान में रूरल वीमेन टेक्नोलॉजी पार्क, बसनी में 15 दिसम्बर से स्टार्ट किया गया है | उन महिलाओ को हुनर-ए-बनारस के साथ मिलकर ऑनलाइन मार्केटिंग व् ब्रांडिंग की भी नि:शुक्ल प्रशिक्षण दिया जा रहा है |

संस्थान के निदेशक अजय सिंह ने बताया कि भारत सरकार के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डी.एस.आई.आर.) के सहयोग से अत्याधुनिक तकनीकी माध्यम से वाराणसी की महिलाओ को पारम्परिक आर्ट एवं क्राफ्ट को संवर्धित, संरक्षित एवं रोजगारोन्मुख बनाने तथा वैश्विक पर्यटन व बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य वाराणसी के 3 विकास खंडो बडागांव, पिंडरा व् काशी विद्यापीठ में लगभग 3000 महिलाओ को प्रशिक्षित करके उन्हें रोजगार से जोड़ेगी | तीनो ब्लाक में 3 सेंटर के मध्यमे से महिलाओ को न सिर्फ डिजिटल प्रशिक्षण के माध्यम से बल्कि उन्हें कार्यशाला के जरिये सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए विभिन्न उभरती हुई प्रवृत्ति पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगी साथ ही वस्त्र पर्यटन, डिजिटल प्रिंटिंग और होम टेक्सटाइल के डिजाइन को बढ़ावा देगी | इच्छुक और हुनरमंद महिलाओं को उक्त केंद्र द्वारा न सिर्फ प्रशिक्षित किया जायेगा बल्कि उनके मांग के आधार पर उनके लिय कार्यक्रम की रुपरेखा तैयार किया जायेगा ताकि वे समाज कि मुख्य धारा में जुड़कर अपने आपको स्वावलंबी बना सके और राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सके | संस्थान का मानना है कि अपना हुनर और एक छोटी सी पूजी विजनेस आईडिया और लोगो की भलाई के लिए किया जाने वाला कार्य जब परिणाम के रूप में गहरी संतुष्टि और पैसा लेकर आये तो कौन ऐसे काम से नहीं जुड़ना चाहेगा।

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