June 18, 2025

*वाराणसी की सुप्रसिद्ध नाग नथैया लीला सम्पन्न,भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को नाथा*

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*वाराणसी की सुप्रसिद्ध नाग नथैया लीला सम्पन्न,भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को नाथा*

सदियों की परंपरा का निर्वाह करने के लिए काशी मानो मथुरा और तुलसी घाट पर गंगा मानो कालिंदी बन गई। हर- हर महादेव और जय कन्‍हैया लाल की के उद्घोष से गंगा का किनारा शाम होते ही गूंज उठा। आस्‍था का सागर मानो गंगा तट पर लहरों की भांति हिचकोले खाते और लीला का आनंद उठाते नजर आया तो शिव नगरी मानो कन्‍हैया की नगरी में कुछ पल के तब्‍दील हो गई।कदम्ब की डाल पर चढ़कर गंगा की लहरों में कूदे भगवान श्रीकृष्ण के प्रतिरूप तो आस्‍था से गंगा तट पूरी तरह निहाल नजर आया। डम डम कर डमरू बजाते दल ने माहौल को भक्ति के रस से सराबोर कर दिया। तुलसी घाट पर चल रही कालिय के मान मर्दन की लीला का अवलोकन करने लोग पहुंचे तो उत्‍साह चरम पर नजर आया। इस दौरान कंदुक क्रीड़ा करते भगवान श्रीकृष्ण के प्रतिरूप का शाम चार बजे के बाद आगमन हुआ तो कौतूहल सहज नजर आने लगा। आस्‍था का सागर गंगा धार पर कालिय नाग को नाथने की लीला देखने के लिए उत्‍सुक नजर आया तो सुरक्षा व्‍यवस्‍था भी चाक चौबंद करने के लिए जल पुलिस भी गंगा की लहरों पर सक्रिय नजर आई। काशी के एक और लक्‍खा मेले में शुमार नाग नथैया में भगवान श्री कृष्ण की लीला को देखने के लिए राजपरिवार और वेदपाठी बटुकों के साथ ही प्रशासन और काशी के आस्‍थावान उमड़ पड़े। परंपरा के अनुसार भगवान श्रीकृष्‍ण नदी के तट पर गोपियों और संगियों के साथ गेंद खेलते हैं। गेंद खेलते-खेलते नदी में जाने पर सभी कालिय नाग के भय की वजह से गेंद निकालने से डर जाते हैं। कालिय नाग का भय लोगों में देखकर भगवान श्रीकृष्‍ण नदी में छलांग लगा देते हैं। थोड़ी देर में ही कालिय नाग का मान मर्दन करने के बाद कालिय के फन पर श्रीकृष्‍ण मुरली लिए नृत्य करते नजर आते हैं तो चारों दिशाएं ‘हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्‍हैया लाल की’ के उद्घोष से गुंजायमान हो उठती हैं। इसी के साथ ही परंपराओं के अनुरूप काशीराज परिवार की ओर से आयोजन के लिए सोने की गिन्‍नी भेंट करने की परंपरा का निर्वहन किया जाता है।
सदियों की परंपरा का निर्वाह करने के लिए काशी मानो मथुरा और तुलसी घाट पर गंगा मानो कालिंदी बन गई। हर- हर महादेव और जय कन्‍हैया लाल की के उद्घोष से गंगा का किनारा शाम होते ही गूंज उठा।
आस्‍था का सागर मानो गंगा तट पर लहरों की भांति हिचकोले खाते और लीला का आनंद उठाते नजर आया तो शिव नगरी मानो कन्‍हैया की नगरी में कुछ पल के तब्‍दील हो गई।कदम्ब की डाल पर चढ़कर गंगा की लहरों में कूदे भगवान श्रीकृष्ण के प्रतिरूप तो आस्‍था से गंगा तट पूरी तरह निहाल नजर आया। डम डम कर डमरू बजाते दल ने माहौल को भक्ति के रस से सराबोर कर दिया।
तुलसी घाट पर चल रही कालिय के मान मर्दन की लीला का अवलोकन करने लोग पहुंचे तो उत्‍साह चरम पर नजर आया। इस दौरान कंदुक क्रीड़ा करते भगवान श्रीकृष्ण के प्रतिरूप का शाम चार बजे के बाद आगमन हुआ तो कौतूहल सहज नजर आने लगा।

आस्‍था का सागर गंगा धार पर कालिय नाग को नाथने की लीला देखने के लिए उत्‍सुक नजर आया तो सुरक्षा व्‍यवस्‍था भी चाक चौबंद करने के लिए जल पुलिस भी गंगा की लहरों पर सक्रिय नजर आई। काशी के एक और लक्‍खा मेले में शुमार नाग नथैया में भगवान श्री कृष्ण की लीला को देखने के लिए राजपरिवार और वेदपाठी बटुकों के साथ ही प्रशासन और काशी के आस्‍थावान उमड़ पड़े।

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