*वाराणसी में अन्नपूर्णा मंदिर में अन्नकूट की झांकी सजी, छप्पन प्रकार के व्यंजनों से सजावट**

*वाराणसी में अन्नपूर्णा मंदिर में अन्नकूट की झांकी सजी, छप्पन प्रकार के व्यंजनों से सजावट**

शुभ-लाभ कामना के पांच दिवसीय ज्योतिपर्व श्रृंखला के चौथे दिन श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर व मां अन्नपूर्णा दरबार समेत शहर से लेकर गांव तक के देवालयों में अन्नकूट की झांकी सजाई गई है।अन्नपूर्णा मंदिर के गर्भगृह में लड्डुओं से मंदिर भी बनाया गया।

शुभ-लाभ कामना के पांच दिवसीय ज्योतिपर्व श्रृंखला के चौथे दिन श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर व मां अन्नपूर्णा दरबार समेत शहर से लेकर गांव तक के देवालयों में अन्नकूट की झांकी सजाई गई है। कार्तिक प्रतिपदा यानी शुक्रवार को आराध्य देवों को कूटे अन्न से बनाए गए 56 प्रकार के मिष्ठान्न-पकवान का भोग अर्पित करके झांकी सजाई गई है। अन्नपूर्णा मंदिर के गर्भगृह में लड्डुओं से मंदिर भी बनाया गया।

अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने बताया कि मध्याह्न भोग आरती के बाद भक्तों में भोग प्रसाद वितरित किया गया। खास यह कि लड्डू, मगदल, बालूशाही, खुरमा,चंद्रकला, काजू बर्फी, काजू बिस्किट, बादाम बर्फी, अंजीर हलवा, बादाम हलुवा, मूंग हलुआ, काजू नमकीन, पंचमेवा नमकीन और राजस्थान के अलवर सेमोट मंगाया गया है। इसके अलावा पांच प्रकार की दाल, सवा क्विंटल चावल, 16 प्रकार के पकौड़े, सहित छप्पन प्रकार के व्यंजनों से भव्य सजावट देर रात की जाती रही।

*मंदिर से जुड़ी कहानी**

इस मंदिर से जुड़ी एक प्राचीन कथा यहां बेहद चर्चित है। कहते हैं एक बार काशी में अकाल पड़ गया था, चारों तरफ तबाही मची हुई थी और लोग भूखों मर रहे थे। उस समय महादेव को भी समझ नहीं आ रहा था कि अब वे क्‍या करें। ऐसे में समस्‍या का हल तलाशने के लिए वे ध्‍यानमग्‍न हो गए, तब उन्हें एक राह दिखी कि मां अन्नपूर्णा ही उनकी नगरी को बचा सकती हैं। इस कार्य की सिद्धि के लिए भगवान शिव ने खुद मां अन्नपूर्णा के पास जाकर भिक्षा मांगी। उसी क्षण मां ने भोलेनाथ को वचन दिया कि आज के बाद काशी में कोई भूखा नहीं रहेगा और उनका खजाना पाते ही लोगों के दुख दूर हो जाएंगे। तभी से अन्‍नकूट के दिन उनके दर्शनों के समय खजाना भी बांटा जाता है। जिसके बारे में प्रसिद्ध है कि इस खजाने का पाने वाला कभी अभाव में नहीं रहता।

About Post Author