June 23, 2025

सीता रूपी भक्ति का जन्म ब्रह्म की खोज के लिए होता है-फलाहारी बाबा

IMG-20230501-WA0002

सीता रूपी भक्ति का जन्म ब्रह्म की खोज के लिए होता है-फलाहारी बाबा

अयोध्या वासी महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 श्री शिवराम दास जी उपाख्य फलाहारी बाबा ने अपने मुखारविंद से राम कथा रूपी अमृत का रसपान कराते हुए कहा की सीता रूपी भक्ति का जन्म ब्रह्म की खोज के लिए होता है। भगवान शंकर द्वारा विदेह राज महाराज जनक को प्रदत पिनाक को मां सीता ने बाल्यावस्था में खेल खेल में उठा लिया तो महाराज जनक को बड़ा आश्चर्य हुआ कि इस वजनदार पिनाक को तो साधारण लड़की नहीं उठा सकती है सीता उठाई है इसका मतलब है कि शक्ति का अवतार हो चुका है और यदि शक्ति का अवतार हो चुका है तो ब्रह्म का भी अवतार हो चुका होगा इसलिए महाराज जनक ने प्रतिज्ञा किया इस धनुष को माध्यम बनाकर ब्रह्म की पहचान करने के उपरांत ब्रह्म की शक्ति भक्ति स्वरूपा सीता को समर्पित कर दिया जाएगा।

सीता ऋषि पुत्री है रावण के द्वारा ऋषियों से कर के रूप में लिया हुआ रक्त से जब घड़ा भर गया तो वह घड़ा जनकपुर के मिट्टी में छुपा दिया गया उस घड़े के प्रभाव से कई वर्षों तक जनकपुर में सूखा महामारी जैसी स्थिति हो गई तब सतानंद जी के कहने पर यज्ञ हेतु भूमि शोधन के लिए हल चलाया गया तो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष नौमी तिथि को दोपहर 12:00 बजे मां सीता का प्राकट्य हुआ जैसे श्री राम के जन्म के समय आकाश में बादल छाए थे वैसे ही सीता जन्म के समय भी आकाश में मेघ और बारिश होने लगा सारे जनकपुर वासी हर्षित हुए। मां सीता अपने भक्तों के अंदर के षट विकार का संघार करती है सद्विचार का सृजन करती है और उसका पालन पोषण भी करती है। शक्ति के बगैर ब्रह्मा भी अधूरा होता है। प्रभु श्री राम को जब सीता मिली तभी सीता को माध्यम बनाकर रावण का संघार संभव हुआ। बाल्मीकि रामायण में भी बाल्मीकि जी ने भी स्पष्ट कर दिया है कि रामायण रूपी काव्य में महत्वपूर्ण चरित्र सीता का है।(सीतायाश्चरितम् महत्।) मां सीता एक ऐसी करुणा भरी अधिष्ठात्री देवी है जिसका उपासक कभी भी कहीं भी किसी भी चीज का मोहताज नहीं रहता। श्री हनुमान जी को अजरता अमरता और राम के स्नेह का आशीर्वाद देकर पूर्णता प्रदान कर दी।

 

धरती पुत्री होने के नाते मां सीता हम सब को धैर्य का पाठ पढ़ाती है। धैर्य के साथ धर्म को धारण करके ब्रह्म को प्राप्त किया जा सकता है। राजा जनक के महलों में पली और बड़ी सीता राम के साथ वनवास में श्रेष्ठ सहायिका की भूमिका निभाई। भारतीय नारी के आदर्श चरित्र के प्रथम श्रेणी में मां सीता का नाम लिया जाता है। मां सीता साहस समर्पण निष्ठा बलिदान और पवित्रता की साक्षात प्रतिमूर्ति है।

About Post Author