June 23, 2025

जलियांवाला बाग नरसंहार की आज 104वीं बरसी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने दी श्रद्धांजलि

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जलियांवाला बाग नरसंहार की आज 104वीं बरसी, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने दी श्रद्धांजलि

Jallianwala Bagh Massacre:आज से 104 साल पहले (13 अप्रैल, 1919) जलियांवाला बाग में खून की होली खेली गई थी. ब्रिटिश सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, कर्नल रेजिनाल्ड डायर द्वारा आदेशित अंधाधुंध गोलीबारी में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित 388 लोग मारे गए थे, जबकि 1,200 लोग घायल हुए थे.

इस खौफनाख घटना के भले 103 साल पूरे हो चुके हों लेकिन इसकी याद आज भी लोगों की रूह कंपा देती है

बता दें कि अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है. वहीं अनाधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मरने वालों की संख्या 1000 से ज्यादा थी. गौरतलब है कि इसी घटना के बाद से भारत में ब्रिटिशर्स और उनके सामान का बहिष्कार होने लगा था.

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने दी श्रद्धांजलि

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने भी जलियांवाला बाग शहीदों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनका अद्वितीय साहस और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा. उन्होंने पिछले साल उद्घाटन किए गए जलियांवाला बाग स्मारक परिसर का एक वीडियो भी साझा किया. उन्होंने कहा कि 13 अप्रैल, 1919 के वे 10 मिनट हमारे स्वतंत्रता संग्राम की अमर कहानी बने, जिसके कारण आज हम स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना पा रहे हैं. वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेताओं ने भी नरसंहार को “विदेशी शासन की क्रूरता और क्रूर अत्याचारों का प्रतीक” के रूप में याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की.

 

13 अप्रैल 1919 को क्या हुआ था

अंग्रेजों ने सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध लगाते हुए एक कठोर मार्शल लॉ लागू किया था. बैसाखी के मौके पर पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में निहत्थे प्रदर्शनकारियों और तीर्थयात्रियों की भीड़ जमा हो गई थी. स्वतंत्रता सेनानियों सत्य पाल और डॉ सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए भीड़ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए कार्यक्रम स्थल पर इकट्ठा हुई थी.

जनरल डायर को जब सभा के बारे में पता चला, तो वह लगभग 50 सैनिकों के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुँचे और उन लोगों पर गोली चलाने को कहा. करीब 10 मिनट तक फायरिंग हुई और करीब 1,650 राउंड गोलियां चलीं. ब्रिटिश सरकार के अनुसार जलियांवाला बाग हत्याकांड में 379 लोग मारे गए थे और 1,200 घायल हुए थे। कुछ रिकॉर्ड कहते हैं, लगभग एक हजार मारे गए थे. नरसंहार ने भारतीयों को नाराज कर दिया और महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन का आह्वान किया.

जलियांवाला बाग हत्याकांड में मौजूद रहे उधम सिंह ने 21 साल बाद साल 1940 में जनरल डायर को लंदन में गोली मारकर बदला लिया था, लेकिन लंदन कोर्ट ने उन्हें इसके बदले फांसी की सजा सुनाई थी. इसके बाद भारतीयों में आजादी की आग और तेज हो गई थी और फिर 15 अगस्त 1947 को हमारा देश अंग्रेजों के शासन से आजाद हो गया था.

 

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