June 23, 2025

Good Friday: सेंट फ्रांसिस चर्च परसिया रसड़ा में मना गुड फ्राइडे

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सेंट फ्रांसिस चर्च परसिया रसड़ा में मना गुड़ फ्राइडे

आज विश्व भर में ख्रीस्तीय समुदाय के लोग ईसा के मृत्यु पर शोक मनाते और उनकी शारिरीक और मानसिक पीड़ा को याद कर प्रार्थना, उपवास और परहेज करते हैं।

प्रश्न उठता है कि यदि यह दिन दुःख मनाने का दिन है तो आखिर में ईसाई लोग इसे क्यों कहते हैं 

हम ईसाइयों का मानना है, बाइबिल के अनुसार कि जब हमारे प्रथम पुरखे आदम और हव्वा जब ईश्वर के आदेश का अवहेलना कर केस बृक्ष का फल खा लिए जिसे ईश्वर ने खाने के लिए मना किया था।उस समय से वे अभिशिप्त हो गये, वे पाप के भागी बन गए।हम सभी उन्हीं आदम और हव्वा के पुत्र व पुत्रियाँ हैं। इस लिए हम भी उस आदि पाप के सहभागी है, वह भी जन्म से। यह इस समुदाय का मानना है।
कहा जाता है कि ईसाई धर्म प्रेम और क्षमा का धर्म है। ईश्वर ने हम मानव को उस आदि पाप से मुक्त करने के लिए एक मसीहा भेजने का वादा किया, जो खुद अपनी कुर्बानी दे कर मानव जाति को आदि पाप के कलंक से मुक्त करेगा।
वही मसीहा “ईसा”हैं।जो हम मानवजाति का उद्धार करने के लिए कुंवारी माँ मरियम से जन्म लिए।जीवन भर निचले तपके, कुचले और सताये गए लोगों के लिए कार्य किये। इस प्रकार वे उस वक्त के सत्ताधारियों के आंखों में गड़ने लगे। जो उनके विरोधी थे वे अपने शासकों से उनकी शिकायत की। उनको डर थी कि कहीं ये उन्हें सत्ता से बेदखल न कर दे, कारण , “ईसा” को मानने वालों की संख्या दिनोदिन बढ़ रही थी।

 


विरोधियों ने उनपर झूठा देश द्रोह का आरोप लगवा कर उन्हें शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी। उन्हें सूली अर्थात क्रूस पर लटका कर मार डाला। क्रूस पर मरने से पहले उन्होंने अपने विरोधियों और उन जल्लादों के लिए अभिशाप न देकर उनके लिए प्रार्थना किया “हे ईश्वर, मेरे अब्बा, इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।
यह है ईसाइयत”
ईसाई समुदाय यही मानते हैं कि ईसा का मानवजाति को पापों से मुक्त करने के लिए उनका मर जाना ही उचित था।* * आज ही के दिन अर्थात शुक्रवार को ईसा पर झूठा महाभियोग लगा कर मार दिया गया।


ईसाइयों के मतानुसार ईसा का मर कर पूरी मानवजाति को आदि पाप से बचा लेने को ही की संज्ञा दी गयी है।
विश्व का इतिहास गवाह है कि सभी प्राणी जीने के लिए जन्म लेते हैं। केवल और केवल प्रभु ईसा ही * मरने* के लिए जन्म लिए थे। उनके जीवन का लक्ष्य ही मरना था। अतः सूली पर मर कर उन्होंने अपने मिशन/लक्ष्य को परिपूर्ण किया। शायद इसीलिए आज शोक या Black Friday को विश्व भर के ईसाई समुदाय इसे कहते हैं।।

 

 

साभार सीडी जॉन

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