ताज पब्लिक स्कूल, ताजपुर के प्रांगण में एक संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न

ताज पब्लिक स्कूल, ताजपुर के प्रांगण में एक संगोष्ठी का आयोजन सम्पन्न
गाजीपुर – ताज चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में ताज पब्लिक स्कूल, ताजपुर के प्रांगण में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया । जिसका विषय ‘ नई शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा का प्रावधान’ रखा गया था । इस संगोष्ठी के आरंभ में मुख्य अतिथि डा० हैदर अली खाँ (पूर्व प्रोफेसर टी डी कॉलेज बलिया ने अपने अभिभाषण में गहराई से प्रकाश डाला। उन्होने अन्तरिक्ष वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगण की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित नई शिक्षा नीति के विभिन्न बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की जिस में 5+3+3+4 डिज़ाइन वाली शैक्षणिक संरचना के बारे में बताया जो कि 3 से 18 वर्ष की आयु वाले बच्चों पर लागू होगी। इस के अलावा सभी स्तरों पर बागवानी , खेल कूद, नृत्य , मार्शल आर्ट जैसी शारीरिक गतिविधियों पर भी बल दिया गया है।
पूर्व प्रोफेसर , गौरी शंकर राय महिला पी.जी. कॉलेज करनाई से आए डॉ० धनंजय राय थॉमस एडीसन की कामयाबी में मात्र संस्था की भूमिका के ऊपर प्रकाश डालते हुए अभिभावक की बराबर की ज़िम्मेदारी पर बल दिया। उन्होने प्रारम्भिक शिक्षा प्रणाली में मात्र संस्थाओं की भागीदारी आवश्यक बताते हुए कहा कि किसी भी बच्चे के विकास में माता और पिता का योगदान आवश्यक है तथा केवल विद्यालय पर सारा भार नहीं डालना चाहिए। उन्होने सरकार द्वारा बनाई जाने वाली किसी भी संस्था में उस संस्था के लोगों कि राय मांगे जाने का ज़िक्र करते हुए कहा कि बच्चों की शिक्षा नीति बनाते समय उन की कोई राय नहीं मांगी जाती। जो की आवश्यक है।
बलिया से आए उर्दू विषय में बी एच यू से स्नातकोत्तर में गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले छात्र मुकिमुद्दीन अंसारी ने अपने वक्तव्य में इस बात का दु:ख व्यक्त किया कि जो बच्चे अपने घर और आस पड़ोस में बोली जाने वाली मात्र भाषा चाहे वह हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, मलयालम या मराठी बोलते हुए सुनते हैं उन्हें आज के आधुनिक युग में इन भाषा के बजाए इंग्लिश मीडियम स्कूल में बैठा दिया जाता है। उन्होने नोबल पुरस्कार विजेता सर सी वी रमन का उल्लेख करते हुए कहा कि विज्ञान विद्यार्थी कि मातृभाषा में पढ़ानी चाहिए जिस से कि अधिक लोग इसे समझ पाएंगे। उन्होने ने दूसरे देशों का उल्लेख करते हुए कहा कि स्कूल के अलावा विश्वविद्यालय में भी उन देशों में मातृभाषा में ही पढ़ाई होती है। संयुक्त राष्ट्र संघ कि इकाई यूनेस्को का उल्लेख करते हुए कहा कि इस संस्था ने भी बच्चों की प्रारम्भिक शिक्षा अपनी मातृभाषा में देने पर बल दिया है जिसे वह आसानी से समझ सकते हैं और जिस का ज्ञान उन्हें पहले से ही होता है। उन्होने उर्दू भाषा का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के कई राज्यों में उर्दू को दूसरी मातृभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ है और नई शिक्षा नीति में इस भाषा के माध्यम से भी शिक्षा का प्रावधान होना चाहिए।
बलिया से आए समाज सेवी तेज नारायण ने राहुल सांकृत्यायन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया की आठवीं कक्षा तक ही शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद अपनी यायावरी प्रवृति होने के कारण , घुमक्कड़ जिज्ञासा से परिपूरित होकर श्रीलंका में शिक्षा पाठ के उपरांत रूसी भाषा सीख कर स्वदेश आए। जिस से यह बात स्पष्ट होती है कि ज्ञान केवल विद्यालय या शिक्षा से नहीं परंतु इंसान कि जिज्ञासा से प्राप्त होता है जिस को अभिभावक और शिक्षक भी अपना सकते हैं।
बलिया से ही आए अधिवक्ता मधुसूदन श्रीवास्तव ने नई शिक्षा नीति के संदर्भ में चर्चा करते हुए बताया कि भाषा का दो जगह से विकास होता है , पहला राजसत्ता से और दूसरा जिस भाषा से रोजगार मिलता है। उन्होने भाषा और उसके शिक्षण जाति , धर्म, और व्यवसाय से कोई परहेज न होने की बात कही।
जनता जनार्दन इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य नर्वदेश्वर राय ने शिक्षा और परिवार को संस्कार के साथ परस्पर जोड़ते हुए प्राचीन शिक्षा प्रणाली की भी प्रशंषा करते हुए नई शिक्षा नीति का स्वागत किया।
संगोष्ठी के अध्यक्ष डा० जनार्दन राय ने कार्यक्रम के संयोजक को बधाई देते हुए कहा कि वर्तमान युग में शिक्षकों के उपर बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। समाज , शिक्षक ,विद्यार्थी और महिलाओं के योगदान उन कि ज़िम्मेदारी,कठिनाई सभी का उल्लेख करते हुए कहा कि आपसी मतभेद और भाईचारे को कायम रखते हुए हमे इस देश और समाज को आगे बढ़ाना है।
अंत में संगोष्ठी के आयोजक डा० मसूद अहमद ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए नई शिक्षा नीति पर हुई परिचर्चा को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि शिक्षा के इस नये अनुरूप को लागू करने में जो प्रक्रिया है उस में समय के अनुसार बदलाव आएंगे। उन्होने एक भाषा के बजाए कई भाषा ज्ञान को भी उपयोगी बताया। उन्होने इस परिचर्चा में सम्मिलित होने वाले सभी बुद्धजीवी वर्ग से आग्रह किया की वह अपने वक्तव्य को लिखित रूप में संस्थान को भेज दें जिस से की इसे एक संकलन के रूप में छपवाया जया सके।
इस के अलावा फतेहचंद बेचैन ने अपनी कविताओं द्वारा सद्भावना का संदेश दिया , विद्यालय के हिन्दी विषय के शिक्षक अखिलेश यादव ने भी कविता के माध्यम से हिन्दी मातृभाषा की महत्वता पर प्रकाश डाला। विद्यालय के प्रिन्सिपल डा० रेयाजुद्दीन अंसारी ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए नई शिक्षा नीति के प्रावधान से प्रारम्भिक शिक्षा में सकारात्मक बदलाव की आशा करते हुए सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में विद्यालय के शिक्षक शशिकांत सिंह , राधेश्याम यादव, राजमनी वर्मा , अमित राय,धनंजय यादव , हारून रशीद , मेहदी हसन, इज़हार अंसारी , फिरोज अंसारी , विजयश्री पांडे, जहांआरा,सरोज पांडे , अर्पिता बर्नवाल , असबा फिरोज ,अज़्का फिरोज , श्रीस्टी गुप्ता , पूनम गुप्ता , अंशु सिंह , अदिति गुप्ता ,सरोज चौधरी के , ट्रस्ट के मेम्बर आरिफ जमाल के अलावा परवेज़ जमाल , अरशद जमाल, फिरोज अंसारी , नौशाद मेहदी , मास्टर संदीप यादव , मास्टर संजय यादव , मास्टर विश्वनाथ यादव , असगर अली मण्डल, मास्टर राजेंद्र वर्मा , दशरथ कुशवाहा आदि ढेर सारे श्रोता मौजूद रहे। विद्यालय की छात्रा हिबा मसूद , पूर्वी सिंह , खुशी सिंह , अनुष्का राय , सामिया रशीद , महिमा जाएसवाल, समृद्धि यादव , जेसिका ने प्रार्थना गीत गाया।