श्रद्धा और विश्वास मनुष्य जीवन की आधारभूत सिद्धांतों में से है-आचार्य पंडित अभिषेक तिवारी

श्रद्धा और विश्वास मनुष्य जीवन की आधारभूत सिद्धांतों में से है-आचार्य पंडित अभिषेक तिवारी
श्रद्धा और विश्वास मनुष्य जीवन की आधारभूत सिद्धांतों में से है जिसका वर्णन सभी शास्त्रों पुराणों में स्पष्ट मिलता है।
देवो रुष्टे गुरुस्त्राता गुरो रुष्टे न कश्चन:।
गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता गुरुस्त्राता न संशयः।।
देवता यदि रुष्ट हो जाए, तो गुरु रक्षा करते हैं, लेकिन यदि गुरु रुष्ट हो जाए तो कोई भी रक्षा नहीं कर सकता।
मंत्रे, तीर्थे,द्विजे देवे दैवज्ञे भैषजे गुरौ
यादृशी भावना यस्य #सिद्धिभवति ताद्शी ।।
मंत्र तीर्थ द्विज देवता ज्योतिषी औषधि तथा गुरु में जिसकी जैसी भावना होती है उसे वैसे ही सिद्धि (फल) प्राप्त होती है l
अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च #संशयात्माविनश्यति।
नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः ।।
अज्ञानी तथा श्रद्धारहित और संशययुक्त पुरुष नष्ट हो जाता है, (उनमें भी) संशयी (गुरु गोविंद,ग्रंथ में अविश्वास )पुरुष के लिये न यह लोक है न परलोक और न सुख मिलता है।
गुरु के बचन प्रतीति ना जेही सपनेहुँ सुगम न सुख सिधि तेही ”
जिसको गुरु के वचनों में विश्वास नहीं है उसको सुख और सिद्धि स्वप्न में भी सुगम नहीं होती।
श्रद्धावान् लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय: ।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति।।
जिनका विश्वास गहरा है और जिन्होंने अपने मन और इंद्रियों को नियंत्रित करने का अभ्यास किया है, वे दिव्य ज्ञान प्राप्त करते हैं। इस तरह के पारलौकिक ज्ञान के माध्यम से, वे जल्दी से परम शांति प्राप्त करते हैं।
भवानीशंकरौ वंदे श्रद्धा विश्वासरूपिणौ।
याभ्यां बिना न पश्यन्ति सिद्धाः स्वान्तस्थमीश्वरम्।।
श्रद्धा विश्वास रूपिणौ’ अर्थात् श्रद्धा का नाम पार्वती और विश्वास का नाम शंकर। श्रद्धा और विश्वास—इन दोनों का नाम ही शंकर-पार्वती है।