June 23, 2025

उद्धव ठाकरे से बोला सुप्रीम कोर्ट- आपने खुद इस्तीफा दे दिया, विश्वास मत का सामना नहीं किया , दोनों गुट के वकीलों ने दी जबरदस्त दलीलें, जानिए क्या होता फैसला सुरक्षित रखने का मतलब

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उद्धव ठाकरे से बोला सुप्रीम कोर्ट- आपने खुद इस्तीफा दे दिया, विश्वास मत का सामना नहीं किया , दोनों गुट के वकीलों ने दी जबरदस्त दलीलें, जानिए क्या होता फैसला सुरक्षित रखने का मतलब

शिवसेना में बीते साल हुई बगावत के बाद उद्धव ठाकरे जाने को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। गुरुवार को इस मामले पर दिलचस्प बहस भी देखने को मिली।

इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे सरकार को बहाल करने की मांग पर भी टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने जब सीएम के तौर पर खुद ही इस्तीफा दे दिया था और विश्वास मत का ही सामना नहीं किया तो फिर कैसे उनकी सरकार बहाल की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में यदि गवर्नर की गलती भी हो तो भी उद्धव ठाकरे की सरकार बहाल नहीं की जा सकती।

दरअसल सुनवाई के दौरान उद्धव ठाकरे सरकार ने 2016 के अरुणाचल प्रदेश के मामले का जिक्र किया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने नबाम तुकी की सरकार को बहाल कर दिया था और यथास्थिति का आदेश जारी किया था। उद्धव ठाकरे गुट का पक्ष रख रहे वकील कपिल सिब्बल ने 5 जजों की बेंच से मांग की थी कि तत्कालीन गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के फ्लोर टेस्ट के आदेश को खारिज किया जाए, जिससे पहले उद्धव ठाकरे ने इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने ही गवर्नर के फैसलों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि शिवसेना की फूट पार्टी का आंतरिक मामला थी।

इसके आधार पर सरकार का फैसला होना गलत था और राज्यपाल का फैसला राजनीतिक मामले में दखल देने जैसा था, जो उन्हें नहीं करना था। अभिषेक मनु सिंघवी ने भी उद्धव सरकार की बहाली की मांग उठाई। इस पर बेंच ने कहा, ‘आपके मुताबिक हमें क्या करना चाहिए? आपकी सरकार बहाल करनी चाहिए? लेकिन आपने इस्तीफा दे दिया था। अब कोर्ट से उस सरकार की बहाली की मांग की जा रही है, जिसने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना ही सत्ता छोड़ दी थी।’

क्या था 2016 का मामला, जिसका उद्धव गुट ने किया जिक्र

अरुणाचल प्रदेश में 2016 में भाजपा के समर्थन से कलिखो फुल सीएम बन गए थे। इसके चलते नाबाम तुकी को पद से हटना पड़ा था। यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो उसने यथास्थिति कायम करने का आदेश दिया और पुरानी सरकार को बहाल करा दिया। इसी का जिक्र करते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यदि गवर्नर का फैसला अवैध घोषित कर दिया जाए तो फिर उद्धव ठाकरे का इस्तीफा अप्रासंगिक हो जाएगा।
9 दिनों तक चली बहस, दिग्गज वकील देते रहे दलील

शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान लगातार 9 दिनों तक उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे समूह की दलीलों को सुना और अब फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस दौरान ठाकरे का पक्ष रखने के लिए कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, देवदत्त कामत और अमित आनंद तिवारी जैसे दिग्गज वकील मौजूद थे। इसके अलावा शिंदे गुट की तरफ से एनके कौल, महेश जेठमलानी और महिंदर सिंह जैसे वकील मौजूद थे।

 

फैसला सुरक्षित का क्या आशय है 

फैसला सुरक्षित रखा जाता है फैसले को विस्तार से लिखने के लिए। सभी तर्कों की विवेचना की जाती है फिर फैसले पर पहुँचाने वाले निष्कर्षों को रेखांकित किया जाता है। कयी बार दोषी करार देने के बाद भी सजा का ऐलान बाद में किया जाता है।

 

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