नमामि गंगे ने किया आह्वान, प्राकृतिक रंगों से खेलें होली “


” केमिकल युक्त रंग बिगाड़ सकते हैं आपके चेहरे की रंगत, नदियों को भी पहुंचाते हैं नुकसान “
होली का पर्व नजदीक आने के साथ ही बाजार अबीर गुलाल व पिचकारी आदि से सज गए हैं। इन सबके बीच चिंता की बात यह भी है कि बाजार में होली के नाम पर नकली गुलाल यानी केमिकल मिले रंग भी बिकते हैं और इनका प्रयोग शरीर के लिए तो नुकसानदायक होता ही है ये केमिकल युक्त रंग नदियों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
सभी को जागरूक करने के उद्देश्य से होली के पावन पर्व पर नमामि गंगे के सदस्यों ने केदार घाट पर प्राकृतिक रंग और गुलाल से गंगा और बाबा गौरी केदारेश्वर संग होली खेल गंगा निर्मलीकरण का आह्वान और संकल्प लिया। प्राकृतिक रंगों से होली खेलने और सिंथेटिक रंगों से बचने की सभी से अपील की। मां गंगा की आरती के बीच हर्बल रंग, गुलाल और गुलाब के फूल गंगा को अर्पण कर केदार घाट पर उपस्थित समस्त नागरिकों को होली के रंग में सराबोर कर दिया गया।

माथे पर गुलाल लगा गले मिले लोग मां गंगा के संरक्षण के प्रति संकल्पित हुए। नमामि गंगा के काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि होली के मौके पर बाजार में सिंथेटिक रंगों व गुलाल की भरमार है। ये रंग न सिर्फ त्वचा को नुकसान पहुंचाते है, आंख, नाक में चले जाएं तो ज्यादा समस्या खड़ी कर देते हैं। फूलों से बने प्राकृतिक रंग भी बाजार में मिलते हैं। ये थोड़े महंगे हैं, मगर इनसे किसी तरह का नुकसान नहीं होता। ऐसे में इन्हीं रंगों से होली खेलें और परिवार और पर्यावरण को भी सुरक्षित करें। आयोजन में प्रमुख रूप से नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला पुष्पलता वर्मा, प्रीति जायसवाल, प्रीति रवि जायसवाल, रीता पटेल, गीता सचदेवा, सुनीता जायसवाल, विजय जायसवाल, नीलिमा जायसवाल आदि उपस्थित रहे।