June 22, 2025

8 मार्च बुधवार को ही होलिका विभूति धारण करना तथा रंगोत्सव मनाना शुभदायक होगा-आचार्य पंडित अभिषेक तिवारी

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8 मार्च बुधवार को ही होलिका विभूति धारण करना तथा रंगोत्सव मनाना शुभदायक होगा-आचार्य पंडित अभिषेक तिवारी

होलिका दहन निर्णय
फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि में होलिका दहन होता है ,इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा 6मार्च सोमवार को अपराह्न 4:00बजे से लग रही है,जो कि 7मार्च को सायंकाल 5:44बजे तक रहेगी पूर्णिमा और प्रदोष काल के संयोग से होलिका दाह होता है इस वर्ष 6मार्च को ही प्रदोषकाल में पूर्णिमा तिथि प्राप्त हो रही है अगले दिन अर्थात् 7मार्च को प्रदोष काल से पहले ही पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जाएगी ऐसी परिस्थिति में यह निश्चित हुआ कि 6मार्च को ही होलिका दहन होना चाहिए यहां भद्रा भी विचारणीय है क्योंकि भद्रा में होलिका दहन का निषेध प्राप्त होता है भद्रा 6मार्च को अपराह्न 4बजे से 7मार्च की भोर 5:02बजे तक है ऐसी परिस्थिति में धर्म सिन्धु के इस वाक्य का अनुसरण हम सबका मार्ग प्रशस्त करता है —
परदिने प्रदोष स्पर्शाभावे पूर्वदिने यदि (यदि निशीथात्प्राक् भद्रा समाप्तिस्तदा भद्रावसानोत्तरमेव होलिका दीपनम्)निशीथोत्तरं भद्रा समाप्तौ भद्रामुखं त्यक्त्वा भद्रायामेव प्रदोषे भद्रामुखव्याप्ते भद्रोत्तरं प्रदोषोत्तरं वा ।
अर्थात् दूसरे दिन पूर्णिमा का स्पर्श यदि प्रदोष काल में न हो रहा है तो पहले दिन यदि भद्रा की समाप्ति निशीथकाल के बाद हो रही है तो भद्रा के मुख को त्याग करके भद्रा में ही होलिका दाह किया जाना चाहिए । प्रदोष काल में यदि भद्रा की व्याप्ति हो तो भद्रा बीतने के बाद अथवा प्रदोषकाल बीतजाने के बाद होलिका दहन होना चाहिए।
ऐसी ही परिस्थिति इस वर्ष बन रही है अतः 6मार्च को
भद्रा मुखकाल छोड़कर भद्रापुच्छभाग के समय में (जो भद्रा का परिहार स्वरूप प्रशस्त समय होता है) अर्थात् रात्रि 12:27 से रात्रि 1:39तक के मध्य एक घंटे बारह मिनट के समयान्तराल में होलिका दहन करना चाहिए।
तथा अगले दिन 7मार्च मंगलवार को चूंकि सायंकाल के समीप तक पूर्णिमा तिथि हो रही है इसलिए इस, दिन न तो होलिका विभूतिधारण करना चाहिए और न ही रंगोत्सव मनाना चाहिए इसके लिए सूर्योदय व्यापिनी प्रतिपदा 8मार्च को है अतः 8मार्च बुधवार को ही होलिका विभूति धारण करना तथा रंगोत्सव मनाना शुभदायक होगा।
शुभ समय में होलिका दाह और होलिका विभूतिधारण करने से वर्ष पर्यन्त परिवार में मंगल रहता है इसके विपरीत करने पर अरिष्ट की प्रवृत्ति संभव है, अतः त्योहारों को समय से और विधिपूर्वक मनाना चाहिए।
आपसी मतभेद ना करके जब जहाँ जैसे आपका समाज पर्व मनाये उस दिन पर्व मना लेना सर्वसम्मत है ।

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