भागवत भजन उस औषधि के समान है जो हमें दैहिक दैविक भौतिक त्रिविध ताप से मुक्ति दिला सकती है-राजन जी महाराज

भागवत भजन उस औषधि के समान है जो हमें दैहिक दैविक भौतिक त्रिविध ताप से मुक्ति दिला सकती है। इसके लिए किसी विशेष धर्म की भी आवश्यकता नहीं होती। मात्र करना यही कि आप जहां भी रहे थोड़ी सी फुर्सत मिले तो मन में भगवान राम का चिंतन कर लीजिए। वह भी शांत मन से क्योंकि अशांत मन से किए गए किसी भी कार्य का परिणाम मंगलकारी नहीं हो सकता। इसलिए जीवन में जब भी सांसारिक व्यापार से मन भर जाए तब प्रसन्न चित्त होकर राम नाम का व्यापार आरंभ कर देना चाहिए।सत्य के सुआ और संतोष की सुतली के साथ अपने मन को राम नाम का व्यापारी बना दीजिए। यही एक ऐसा व्यापार है जो बिना कोई पूजी लगाए आपको मालामाल कर सकता है। विश्व नहीं अपितु तीनो लोग के अमीर धन पतियों में आपका नाम शामिल करा सकता है। राम नाम का यही वह व्यापार है जिस में सिवाय लाभ के हानी तो हो ही नहीं सकता उक्त बातें सीताराम जनसेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में स्थानीय नगर के लंका मैदान में चल रहे नौ दिवसीय रामकथा के चौथे दिन धनुष भंग प्रसंग पर कथा रूपी अमृत वर्षा करते हुए अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक श्री राजन जी महाराज ने कही कथा को आगे बढ़ाते हुए संत पुरुष की महिमा का वर्णन करते हुए श्री महाराज ने कहा कि हमें संत पुरुषों का सदैव आदर व सम्मान करना चाहिए क्योंकि संत की इच्छा हो जाए तो वह कहीं और कभी भी अपने भक्तों पर अनंत अथवा अर्थात ईश्वर से कृपा की बरसात करा सकते हैं। संत ही वह हैं जिनके इच्छाओं का ईश्वर भी कभी अनादर नहीं करते इसलिए हमें भूल बस भी कभी किसी संत के सामर्थ्य पर संदेह नहीं करना चाहिए।
आज के मुख्य कुल मयंक राय बजरंगी यादव भागवत तिवारी जी द्वारा संयुक्त रूप से व्यासपीठ के पूजन अर्चन एवं आरती उपरांत आरंभ हुए कथा को सायं 8:30 पर विश्राम दिया गया
सहयोगी. शशि कांत वर्मा राघवेंद्र यादव आकाश त्रिपाठी दुर्गेश जी आनंद मिश्रा समेत हजारों की संख्या में कथा प्रेमी उपस्थित रहे।
