नारद मोह और श्रीराम जन्‍म के मंचन के साथ शुरू हुआ रामलीला

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गाजीपुर। अतिप्राचीन श्रीराम लीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वावधान में 21 सितम्बर बुधवार शाम 7 बजे हरिशंकरी स्थित श्रीराम सिंहासन पर धनुष मुकुट पूजन नारद मोह तथा रामजन्म लीला का प्रसंग मंचन किया गया। लीला का शुभारम्भ बतौर मुख्यातिथि एस0पी0 सिटी गोपीनाथ सोनी, विशिष्ट अतिथि सिटी गौरव कुमार सिंह समेत शहर कोतवाल तेज बहादुर सिंह, कमेटी के अध्यक्ष प्रकाश चन्द श्रीवास्तव एडवोकेट, उपाध्यक्ष विनय कुमार सिंह, मंत्री ओमप्रकाश तिवारी उर्फ बच्चा, संयुक्त मंत्री लक्ष्मी नरायन, उप मंत्री लवकुमार त्रिवेदी, प्रबंधक बीरेश राम वर्मा (ब्रहमचारी जी), उप प्रबंधक मयंक कुमार तिवारी, वरूण कुमार अग्रवाल, योगेश कुमार वर्मा ने धनुष मुकुट के पूजन करके लीला का शुभारम्भ किया। धनुष मुकुट पूजन के बाद श्रीराम चबुतरा स्थित मंच पर वन्देवाणी विनायकौ आदर्श रामलीला मण्डल के कलाकारों द्वारा नारद मोह तथा श्रीराम जन्म लीला का मंचन किया। लीला के दौरान दर्शाया गया कि देवर्षि नारद को जिस समय कामदेव पर विजय प्राप्त करने का घमण्ड हुआ, इस बात को लेकर देवर्षि नारद ब्रह्मा तथा शंकर जी के पास जाकर कामदेव पर विजय प्राप्त करने की बात कही तो दोनों देवताओं ने देवर्षि नारद से कहा कि इस बात को भगवान विष्णु से मत कहना वे माने नहीं। वे तत्काल भगवान विष्णु के पास जा करके कामदेव पर विजय प्राप्त करने का बात कह डाला। सारी बातों को सुनकर भगवान विष्णु ने अपनी माया से लीला रचाया। लीला के दौरान उन्होंने श्रीनिवासपुर नामक नगर बसाया। उस राज्य का राजा शीलनिधि थे। उन्होंने अपनी पुत्री विश्वमोहिनी का स्वयम्बर रचाया था, जिसमें सभी राज्य के राजा तथा नारद जी भी स्वयम्बर में पहुँचते हैं। शीलनिधि राजा ने देवर्षि नारद से अपनी पुत्री विश्वमोहिनी के भविष्यवाणी का आग्रह किया। नारद जी ने विश्वमोहिनी का हाथ देखते ही उस पर मोहित हो गये, वे तत्काल भगवान विष्णु के पास जाकर कहते हैं कि प्रभु आपन रूप देहू प्रभु मोहि आन भांति नहीं पाओ ओहि। हे प्रभु मैं विश्वमोहिनी से अपना शादी रचाना चाहता हूँ। अतः आप अपना स्वरूप मुझे देने की कृपा करें, जिससे मैं विश्वमोहिनी से विवाह कर सकूँ। नारद के बात को सुन करके भगवान विष्णु ने अपने भक्त के रक्षा करे हेतु जिससे मेरे भक्त में अहंकार का बीज न बोया जा सके। इसको देखते हुए भगवान विष्णु ने नारद जी को बन्दर का रूप दे दिया। नारद जी बन्दर का स्वरूप पाकर उछलते कूदते हुए विश्वमोहिनी के स्वयम्बर में आ पहुँचे। इसी बीच विश्वमोहिनी वरमाला लिए स्वयम्बर में आती है। उधर भगवान विष्णु भी स्वयम्बर में उपस्थित हो गये। अपने पिता के आज्ञानुसार विश्वमोहिनी ने भगवान विष्णु के गले में वरमाला डाल देती है और भगवान विष्णु विश्वमोहिनी को लेकर अपने धाम के लिए चले जाते हैं। उधर देवर्षि नारद जी ने अपना स्वरूप पानी में देखा तो बन्दर का रूप पाया देखकर भगवान विष्णु के पास जा करके श्राप देकर विष्णुलोक से वापस लौटते हैं तो उनका मोहरूपी पर्दा हटता है तो वे सोच में पड़कर पुनः विष्णुलोेक जाकर भगवान विष्णु से क्षमा याचना करते हैं। भगवान विष्णु ने क्षमा करते हुए कहा कि हे देवर्षि आप हिमालय पर्वत पर जाकर शिवमंत्र का जाप करें, इससे मेरी माया आपको कभी नहीं सतायेगी। इस प्रकार नारद मोह का प्रसंग देखकर दर्शक भावविघोर हो गये। लीला के क्रम में जिस समय असुरों का अत्याचार पृथ्वी पर बढ़ता जा रहा था तो सारे देवतागण इकट्ठा होकर भगवान विष्णु के पास जा करके असुरों द्वारा अत्याचार के बारे में सारी बाते बता देते हैं। भगवान विष्णु देवताओं के सारी बातों को सुनकर उन्हांेने कहा कि मैं त्रेतायुग में चक्रवर्ती महाराज दशरथ के घर पर बालक के रूप में अवतार लेकर असुरों का संहार करके पृथ्वी को असुरों का नाश कर दूंगा। उधर राजा दशरथ पुत्र न होने के सम्बन्ध में अपने कुल गुरू महर्षि वशिष्ठ के पास जा करके सारी बातें बताते हैं। दशरथ जी के बातों को सुनकर गुरू वशिष्ठ ने कहा कि धरहू धीर होईहैं सुतचारी त्रिभुवन विदित भगत् हितकारी हे राजन आप एक पुत्र के लिए परेशान हैं। मैं तो देख रहा हूँ कि आपके घर चार पुत्रों का आगमन होने जा रहा है। अतः आप श्रृंगी ऋषि को बुला करके पुत्र कामेष्टि यज्ञ का तैयारी करावे। इतना सुनते ही राजा दशरथ श्रृंगी ऋषि के पास जा करके उन्हें आमंत्रित कर यज्ञ करवाते हैं, उनके भक्ति को देख करके अग्निदेव प्रकट हो करके उन्हें खीर भरे कटोरे राजा दशरथ को देते हुए कहा कि हे राजन इस खीर को तीनों रानियों में बांट दीजिए राजा दशरथ ने अग्निदेव के बात को सुनकर खीर को तीनों रानियों में बांट दिया। खीर खाने के बाद कौशल्या ने राम को जन्म दिया। कैकेयी ने भरत को जन्म दिया, सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुधन को जन्म दिया। अयोध्यावासी राजा दशरथ के चार पुत्र होने के सूचना पाकर राजमहल में आकर जन्म लिये रघुरैया अवध आज बाजे बधैया। सोहर से पूरे अयोध्या को राममय बना दिया तथा सारे देवता इकट्ठा होकर श्रीराम के स्तुति भए प्रकट कृपाला दीनदयाला कौशल्याहितकारी से भगवान श्रीराम का स्तुति करके तथा उनका दर्शन करके अपने-अपने धाम के लिए प्रस्थान करते हैं। इस अवसर पर कमेटी के अध्यक्ष प्रकाश चन्द श्रीवास्तव एडवोकेट, उपाध्यक्ष विनय कुमार सिंह, मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, बच्चा, संयुक्त मंत्री लक्ष्मीनरायन, उपमंत्री लवकुमार त्रिवेदी, प्रबंधक बीरेश राम वर्मा, उपप्रबंधक मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल, आय-व्यय निरीक्षक अनुज अग्रवाल, ओमनरायन सैनी, अशोक कुमार अग्रवाल, योगेश कुमार वर्मा, बाके तिवारी, डा0 गोपाल पाण्डेय, अशोक अग्रवाल, अजय पाठक सहित कमेटी के पदाधिकारीगण उपस्थित रहें।

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