नालायक व्यक्ति के संग में एक छण में बिगड़ा जा सकता है-जीयर स्वामी

नालायक व्यक्ति के संग में एक छण में बिगड़ा जा सकता है-जीयर स्वामी
बलिया जनपद के जनेश्वर मिश्रा सेतु के एप्रोच मार्ग के समीप आयोजित चातुर्मास ब्रत के दौरान श्री लक्ष्मी प्रपन्न पूज्य श्री जीयर स्वामी जी महाराज ने बताया कि छह घंटा मंदिर में आप बैठते हैं उससे आपको सुधार होगा की नही यह नही कहा जा सकता है। लेकिन एक मिनट भी कहीं नालायक व्यक्ति के साथ बैठ जाएंगे तो आप बिगड़ जाएंगे यह बात हो सकती है। जैसे सौ मिट्टी का बर्तन हो और एक जुठा मिट्टी का पात्र है तो सौ के सौ नये मिट्टी के पात्र को अशुद्ध हो जाता है। परंतु सौ मिट्टी के शुद्ध पात्र मिलकर भी एक अशुद्ध पात्र को शुद्ध नही कर सकता है। इसलिए कुसंग द्वारा हम अपने आप में बिगड़ सकते हैं। सत्संग द्वारा हमें बनने में अपने आप में देर लग सकती है लेकिन कुसंग द्वारा अल्प समय में ही बिगड़ने में देर नही लगेगी।
सबसे पहले तो अनर्थ जो जीवन तथा जीवन के व्यवहार में जिस कारण से होता हो उस पर अंकुश लगाएं। अहंकारमय जीवन न हो। जरूर हम करते हैं लेकिन कराने वाला उसी प्रकार से हैं जैसे किसी कठपुतली के नाच को देखा होगा। भले वह नाचते हैं लेकिन नचाने वाला कोई दूसरा है। उसी के इशारे पर कठपुतली नाचता है। ठीक उसी प्रकार हमारे आपके साथ है। हम चाहे जो कुछ भी करते हैं वह परमात्मा अपनी शक्ति के द्वारा हमलोगों को कठपुतली के समान नचाते हैं। उनकी इच्छा नही होती है नचाने के लिए तो अपने आप से तो इस दुनिया में निस्तार हो जाते हैं। किसी के योग्य नही होते हैं। ऐसा विचार कर अनर्थों को त्याग दे। कर्तव्य करें, लेकिन मैं ही करने वाला हूं, मेरे ही द्वारा होता है। ऐसा भाव नही होना चाहिए।