संतो के संग से ही जीवों का कल्याण संभव है-गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी
गाजीपुर जनपद के नोनहरा स्थित बडा पोखरा पर आयोजित चातुर्मास व्रत के दौरान गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज ने कहा की
भोजन करने के बाद हमारे अंदर सुधी आयेगी की नहीं आयेगी कोई जरूरी नहीं।मंदिर जाने के बाद भी हमारे अंदर सुधी आयेगी की नही आयेगी कोई जरूरी नहीं है।मंदिर मे जाने के बाद सुधी आ गई होती तो मूर्ति की चोरी नही होती। तो मंदिर जाने के बाद गंगा नहाने के बाद, तीर्थो में जाने के बाद हम शुद्ध हो जायेंगे कोई जरूरी नही है।लेकिन संतो के पास जाकर के,संतो का संग अगर बार बार करते रहेंगे।तो कभी न कभी हमारे दिल में या दिमाग पे झटका लगेगा।एक दिन नही लगेगा दो दिन नही लगेगा।एक दिन झटका जरूर लगेगा।इसलिए प्रथम मानव जीवन में कैसा भी दुर्गुण हो आहार का हो,या व्यवहार का हो,संग का हो,कैसा भी दुर्गुण हो अच्छे महापुरुषों का संग करना चाहिए।इसलिए मनुष्य का कर्तव्य होता है, परमार्थ और दया. यह दो ऐसा धर्म है। इसे जीवन में मनुष्य धारण कर ले तो उसी पद को प्राप्त करता है जो महात्माओं को पद प्राप्त होता है।