नशा उन्मूलन में कारगर है आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक दवाएं: रंगबहादुर सिंह

नशा उन्मूलन में कारगर है आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक दवाएं: रंगबहादुर सिंह
नशा उन्मूलन में आयुर्वेदिक औषधियों का योगदान विषयक गोष्ठी फणीन्दर राय निवासी नगसर के बगीचा प्रांगण में संपन्न हुई। गोष्ठी की अध्यक्षता रमाशंकर उपाध्याय और संचालन डा0विजय नरायण तिवारी ने किया। गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए पूर्व प्रधान केसरी सिंह यादव ने त्रेता युग के वैद्य सुखेन नशा मुक्त काल गोर और मधु सेवन और आयुर्वेद के प्रवर्तक धनवन्तरि जी का उल्लेख करते हुए आयुर्वेदिक औषधियों एवं जड़ी—बूटियों के उत्पत्ति पर प्रकाश डाला। श्री यादव ने अंग्रेजों के काल में चाय का नशा सहित वर्तमान सभी घातक नशीले पदार्थाें के सेवन से समाज में फैले नशाखोरी को संकल्प शक्ति द्वारा छोडऩे की प्रवृत्ति अपना कर, अच्छे सामाजिक कार्याें का नशा, विकास कार्यक्रमों में संलिप्तता का नशा और रचनात्मक कार्यक्रमों में जुडऩे के नशे को आज की जरूरत बताई। समाजसेवी अभय नारायण राय ने वर्तमान के नशा उन्मूलन क्रम में अनुकरणीय व्यक्तित्व प्रदॢशत करने की सलाह दी। श्री राय ने देशी गाय, सनातनी दिनचर्या योग—व्यायाम और स्र्वमान्य आयुर्वेदिक रसायनों के उपयोग करके निरोग जीवन यापन पर जोर दिया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए हाजी सुल्तान खान ने इस्लाम में नशाखोरी वॢजत करने का उल्लेख करते हुए स्वयं के आत्मबल द्वारा नशा छोडऩे और जकात (दान) एवं ज्ञान को बढ़ावा देने की जरूरत बताई। वाराणसी मंडल में 9 हजार हेरोइन बाजों के आतंक से इस वर्ष मुक्ति का उल्लेख करते हुए संचालक श्री तिवारी ने इंजेक्शन रूपी वर्तमान नशाखोरी को तत्काल समाप्त करने की जरूरत बताई।
भाजपा नेता भगवती राय ने समाज में हो रहे रचनात्मक विकास कार्यक्रमों में सहभागिता हेतु जहां प्रबुद्ध जनों का आह्वान किया, वहीं नशाखोरी से बर्बाद परिवारों का उल्लेख करते हुए दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्पित होकर नशा उन्मूलन कार्यक्रमों में पूरी निष्ठा व लगन से समाजसेवियों को आगे आने की जरूरत बताई। मिशन जामवंत के राष्ट्रीय संयोजक/जिला अध्यक्ष पत्रकार समिति सूर्य कुमार सिंह ने पूर्वांचल में व्याप्त नशाखोरी सहित सभी घातक सामाजिक बुराइयों और उनके परिणामों का उल्लेख करते हुए पूर्वांचल में उपलब्ध कच्चे माल, श्रम शक्ति, जमा पूंजी और सभी संसाधनों का शत—प्रतिशत उपयोग कराके पूरी निष्ठा लगन और कठोर परिश्रम द्वारा गांधीजी के ग्राम्य स्वराज्य का सपना साकार करने के लिए सभी अनुभवी अवकाश प्राप्त बुजुर्गों, विशेषज्ञों और स्थानीय प्रबुद्धजनों, क्रांतिकारी युवाआें और कुछ कर गुजरने वाली महिलाआें का आह्वान किया। श्री सिंह ने अपने ऋषि—मुनियों तपस्वियों और प्रमाणित आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग करके साध्य एवं असाध्य सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति की सलाह दी। वहीं अमौरा में स्वीकृत आयुर्वेदिक ग्रामीण शोध शाला के सभी चारों चरणों का विस्तृत उल्लेख करते हुए किसानों की आमदनी चौगुनी करने के लिए औषधीय खेती और जड़ी—बूटी उत्पादन में लगने की जरूरत बताई। आयोजक फणीन्दर राय ने नशा उन्मूलन को अपने जीवन का लक्ष्य और पहलवान युवा व विवेकशील समाज को शिक्षित करने में सभी का सहयोग एवं सहभागिता की जरूरत बताई। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे रमाशंकर उपाध्याय ने जन जागरण को आज की जरूरत बताते हुए विजय शंकर तिवारी आदि के समर्थन में आयुर्वेदिक औषधियों की महत्ता, कोरोना काल के गिलोय अभियान और साध्य व असाध्य रोगों के लिए दुनिया में लोहा मनवाने वाले जड़ी—बूटियों व आयुष औषधियों की खेती करके पूर्वांचल को आयुष हब के रूप में विकसित करने के लिए किसानों का आह्वान किया। औषधीय पंडित रंग बहादुर सिंह ने अपने 22 वर्षीय जैविक हर्बल औषधीय प्रोसेसिंग और साध्य—असाध्य रोगों के निदान पर रोगानुसार विस्तृत रूप से बताया। आयोजक फणीन्दर राय ने मुख्य अतिथि रंग बहादुर सिंह को अंगवस्त्रम चादर ओढ़ाकर सम्मानित किया। गोष्ठी को प्रमुख रूप से प्रभु नारायण सिंह, शिवशंकर राय आदि ने संबोधित किया। वहीं संजय राय, रविंद्र कुमार, लक्ष्मण राय, अवध बिहारी राय, अजय कुमार पांडेय, अर्जुन राय, इकबाल खां, हिमांशु गुप्ता, राकेश सिंह, कुंज बिहारी राय सहित दर्जनों उत्साही कृषक और समाज सेवी उपस्थित रहे।