प्रधानमंत्री मोदी ने इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट ऊंची प्रतिमा का किया अनावरण, क्या है मूर्ति में खास जिसकी हो रही चर्चा

प्रधानमंत्री मोदी ने इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फीट ऊंची प्रतिमा का किया अनावरण, क्या है मूर्ति में खास जिसकी हो रही चर्चा
मूर्ति की खास बातें
नेता जी की मूर्ति के लिए पत्थर तेलंगाना के खम्मम से 1,665 किमी की दूरी तय कर नई दिल्ली पहुंचा. आइये आपको बताते हैं इस मूर्ति से जुड़ी हर बड़ी बातें.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया. जेट ब्लैक ग्रेनाइट की नेताजी की इस विशाल मूर्ति को तैयार करना आसान नहीं था. जिस पत्थर से नेता जी की मूर्ति तैयार हुई है, उसे तेलंगाना से लाया गया. इस पत्थर को लाने के लिए 140 पहियों वाले 100 फीट लंबे ट्रक का इस्तेमाल किया गया. खास बात यह कि इसे विशेष रूप से मूर्ति के पत्थर को लाने के लिए डिजाइन किया गया था. यह पत्थर तेलंगाना के खम्मम से 1,665 किमी की दूरी तय कर नई दिल्ली पहुंचा. आइये आपको बताते हैं इस मूर्ति से जुड़ी हर बड़ी बातें.
पीएम मोदी ने वादा किया पूरा
बता दें कि इस साल की शुरुआत में पराक्रम दिवस पर नेता जी की 125 वीं जयंती के अवसर पर पीएम मोदी ने होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया था. पीएम मोदी ने आश्वासन दिया था कि देश के नेता जी के प्रति ऋणी होने के प्रतीक के रूप में इंडिया गेट पर ग्रेनाइट से बनी नेताजी की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी.
जानिए कौन है मूर्तिकार जिनकी हो रही चर्चा
मैसूर के पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार अरुण योगीराज के नेतृत्व में एक टीम ने पारंपरिक तकनीकों और आधुनिक उपकरणों का उपयोग करके मूर्ति को हाथ से तराशा. उन्होंने कहा कि ग्रेनाइट पर चेहरे की विशेषताओं को तराशने और एक्सप्रेशन के लिए कड़ी मेहनत की गई. नेता जी सुभाष चंद्र बोस के 600 चित्रों को परखने के बाद इसे तैयार किया गया. उन्होंने कहा कि ये मेरे सपने को साकार करने वाला प्रोजेक्ट था. जब मैं एक बच्चा था, मैं इंडिया गेट जाना चाहता था और अब मुझे नेताजी की प्रतिमा बनाने का अवसर मिला. मेरे जैसे कलाकार के लिए यह सपने के सच होने जैसा है.
कठिन परिश्रम से तैयार की गई है नेताजी की मूर्ति
उन्होंने कहा कि यह मूर्ति संभवत: ग्रेनाइट पर उकेरी गई सबसे बड़ी वास्तविक तस्वीर है और उन्होंने कहा कि उन्हें काम पूरा करने के लिए तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और राजस्थान के कलाकारों की भर्ती करनी पड़ी. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे मूर्तिकारों ने 24 घंटे एक पाली के आधार पर काम करना शुरू किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मूर्ति और उसके विवरण को अधिक समय और देखभाल दी जाए. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में मूर्तिकारों का प्रबंधन करना उनकी टीम में सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी.
1968 जॉर्ज पंचम की प्रतिमा हटा गुलामी की प्रतीक को किया गया खत्म
जिस छतरी के नीचे प्रतिमा को पहले रखा गया था, उसमें ब्रिटेन के किंग जॉर्ज पंचम की एक प्रतिमा थी, जिसे 1968 में हटा दिया गया था. दशकों तक, चंदवा में अमर जवान ज्योति थी, जिसे गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक मशाल की शाश्वत लौ के साथ मिला दिया गया था.