May 11, 2025

सात्विक व्यवहार के साथ घर के कर्म को करते है तो कर्म ही धर्म हो जाता है-त्रिदंडी स्वामी

IMG-20220825-WA0027(1)

सात्विक व्यवहार के साथ घर के कर्म को करते है तो कर्म ही धर्म हो जाता है-त्रिदंडी स्वामी

 

 

गाजीपुर-गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी ने नोनहरा, बड़ा पोखरा पर आयोजित चातुर्मास ब्रत के दौरान कहा की
गृहस्थ आश्रम का जो धर्म है,अगर सात्विक व्यवहार सात्विक संग के साथ घर के कर्म को करते है तो कर्म ही धर्म हो जाता है।संतो के संग करने से धर्म की जिज्ञासा होती है।हम धर्म को जानते है,हम धर्म को मानते है। जब तक संत के पास नही जाते है।तो धर्म को जानने के बाद भी उसमे निष्ठा नही हो पाती है। रोज मंदिर में जाते है पर धर्म को नही जानने के कारण प्रणाम करने की इक्षा नही कर पाते है।और अचानक ग्रंथो को पढ़ लिया ।

 

100यज्ञ करने का जो फल है।1000लोगो को जो भोजन कराने का जो फल होता है। पृथ्वी पर जो परिक्रमा करने का जो फल होता है।वह फल केवल मंदिर को प्रणाम करने से हो जाता है। ये जब हम धर्म को जान लेते है तो क्या करते है।रास्ते में जाते समय गलती से मंदिर से गुजर भी जाते है। तो उधर मुड़ के प्रणाम करते है। ये ही धर्म है। धर्म कही अलग नही होता ,पर संतो के संग करने से वह करने की प्रेरणा मिलती है।

About Post Author