हर जीवों के ऊपर दया करना यह भगवान का सबसे बड़ा ब्रत है-गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी

हर जीवों के ऊपर दया करना यह भगवान का सबसे बड़ा ब्रत है-गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी
गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज ने गाजीपुर जनपद के नोनहरा थाना क्षेत्र के बडा पोखरा पर आयोजित चातुर्मास ब्रत के दौरान उपस्थित श्रोताओं से कहा की शुकदेव जी महाराज परीक्षित से कह रहे है, जो अपना कल्याण चाहता हो। उस व्यक्ति को सबसे पहले विश्वासो फल दायक:।जब तक कर्म करने को शास्त्र में लिखा गया है। उन पर विश्वास नहीं होगा।तब तक कर्म करने के बाद भी उस हद तक वह कर्म हमारे लिए कल्याण कारी नही है। इसीलिए विश्वासो फल दायक:,विश्वास होना चाहिए।
और शरीर, संसाधन,पद,प्रतिष्ठा,बल, इत्यादि के प्रति मोह का त्याग। मोह है क्या है जो अपना नही है उसे अपना मान बैठे है। और जो अपना है उसको अपना हम मानते नही।इसका नाम मोह है।जो अन्याय पूर्वक जो धन बटोरते है वही मोह है। मम मेरा का बोध होना भी माया है।इसीलिए जीवन में दो जरूरी है दया और धर्म ,दया का मतलब हमारा काम भले बिगड़ जाए।पर दूसरे का काम को सह देना ये ही दया है। दयायम सर्व भूतेशु। हर जिवों पर दया करना भगवान का सबसे बड़ा ब्रत है।