June 25, 2025

अनगिनत बलिदानों के बदले यह स्वतंत्रता आई है, ऐसे बलिदानों का संभव कभी नहीं भरपाई है

IMG-20220820-WA0017

अनगिनत बलिदानों के बदले यह स्वतंत्रता आई है, ऐसे बलिदानों का संभव कभी नहीं भरपाई है

खाई थी सीने पर गोली, ध्वज स्वतंत्रता का फहर उठा, जब खेली प्राणों की होली

गाजीपुर। एक शाम अष्ट शहिदों के नाम, कार्यक्रम में जनपद के ख्याति लब्ध साहित्यकार एवं रचनाकारों ने काव्य पाठ की। ज्यादातर रचनाएं वीर रस से ओत-प्रोत थीं। कवियों ने अमर शहीदों की शहादत में रचना पाठकर लोगों में जोश भरने का काम किया। कवियों में मुख्य रूप से वरिष्ठ रचनाकार अनंत देव पांडेय ने अपनी रचनाएं सुनाते हुए लोगों को भाव विभोर कर दिया। अनगिनत बलिदानों के बदले यह स्वतंत्रता आई है, ऐसे बलिदानों का संभव कभी नहीं भरपाई है..।


इसी क्रम में वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि अमरनाथ तिवारी ने वीर रस में सनी व डूबी अपनी रचना जब प्रस्तुत की, तो कुछ देर के लिए कार्यक्रम स्थल पर सन्नाटा सा छा गया। लोग अष्ट शहीदों के शहादत को याद करने लगे। मतवाले होकर तरूणाई खाई थी सीने पर गोली, ध्वज स्वतंत्रता का फहर उठा, जब खेली प्राणों की होली..। इसी क्रम में वरिष्ठ कवि गोपाल गौरव ने कहीं मस्जिद, कहीं शिवाला है, लेकिन होता नहीं उजाला है। खोंट खाकी में है नहीं, गौरव तेरे हाथों में उल्टा प्याला है..। अंत में कवि डॉ. अक्षय पांडेय ने महफ़िल में लोगों के सामने मातृभूमि से लगाव एवं आजादी के दीवानों का जुनून व्यक्त करते हुए अपनी रचना प्रस्तुत की।

मातृभू से अप्रतिम प्यार है, इसलिए यह वतन आज गुलजार है। साक्षी नीले गगन के सितारे रहें, गंगा यमुना के पवन किनारे रहें..। कार्यक्रम काफी लंबा चला। ऐसे में कवियों को कुछ असहजता महसूस जरूर हुई, लेकिन उन्होंने कहा कि एक शाम अष्ट शहीदों के नाम को देश दुनिया के कोने-कोने तक अपनी कविताओं के माध्यम से पहुंचाने का काम किया। जनपद वासियों ने इसकी भूरी भूरी प्रशंसा की। कार्यक्रम में साहित्यकारों व कवियों के साथ ही जनपद के प्रमुख जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, पत्रकार एवं अमर शहीदों के परिवार के परिजन उपस्थित रहे।

About Post Author