कथा आत्मरंजन का साधन है मनोरंजन का नहीं-त्रिदंडी स्वामी
गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी ने
नोनहरा, बड़ा पोखरा,गाजीपुर में आयोजित चातुर्मास ब्रत के दौरान उपस्थित श्रोताओं से कहा की आगे कलयुग के बारे में ब्रम्हा बता रहे है। यरहालये स्वपि सतां न हरेः कथा: स्यूः। पाखंडिनो द्विज जना: बृषला नृदेवः। जब भक्तो के घर मे कथा नही होगी,कथाओं का स्वरूप बदल जाएगा।जब तक मंगल मयि कथा होती रहेगी,तबतक कलयुग की दाल नही गलेगी।जब कथा नही होगी कथा के नाम पर मनोरंजन होने लग जायेगा, तब कलयुग का प्रभाव बढ़ेगा। लोग ढोलक झाल मंजीरा में फस जायेंगे।
कथा आत्मरंजन का साधन है मनोरंजन का नहीं।
खूब कथा करो पर उसकी मर्यादा क्या है सबको सूत्र दे रहे है ,प्रथम महा भागवताचार्य श्री ब्रम्हा जी ,जितने भी भागवत के वक्ता है, सबको एक मर्यादा दे रहे है। हे नारद जिस कारण से भी जीवों की भगवान के चरणों में निस्काम भक्ति हो जाए,बस यही भाव रख के भक्ति करो।हमारे हृदय में भगवत प्रेम जगे।