June 25, 2025

मुहब्बत की उम्मीद तुमसे लगी है, वही आग सीने में फिर जल पड़ी है
मुझे इश्क में अब नहीं तुम सताओं, सनम तुमसे मिलनेे की आशा लगी है

जी का जंजाल बन गया फैशन और मोबाइल

गाजीपुर। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मिशन जामवंत से हनुमान जी और मुंशी प्रेमचंद्र स्मृति काव्य संगम और सम्मान समारोह का आयोजन डा. पीएन जायसवाल चिंतित बनारसी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। सर्वप्रथम बबलू गुप्ता महाराजगंज की टीम ने संगीतमय भजनों की सराहनीय प्रस्तुति के बाद प्रेमचंद्र जी के जन्मदिन पर समसामयिक सोहर जुग-जुग जीय ललनवा, भवनवा क भाग जागल हो के क्रम में प्रख्यात कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने आव हो वीणा वाली, आव हंस वाहिनी, भक्तन के स्वर क सजाद हे वीणा वाली, सम्मोहक मां सरस्वती वंदना ने वातावरण को भक्तिमय कर दिया। विकासोन्मुख काव्य गोष्ठी का प्रभावी व उत्प्रेरक संचालन करते हुए निर्भीक जी ने बलिया से आए दिलीप कुमार चौहान बागी को आमंत्रित किया। बागी बलिया ने मांग कर खुदा से मुझे लाई है मां, सींच कर लहू से मुझे सजाई है मां, ममता का आंचल वो भूलता नहीं, दूध जिसमें छिपाकर पिलाई है मां ने जहां सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। वही समसामयिक कजरी सखी रे सांवर गोर ललनवा, बिहरे बीच बगनवा, सांवर गोर ललनवा हथवा लेहले धुनही बनवा राम, अरे रामा बाए हाथ सुमनवा बिहरे बीच बगनवा ना पर खूब तालियां बटोरी। आधुनिक बच्चों को आगाह करते हुए शिक्षक बागी जी ने फैशन और मोबाइल जी का जंजाल बन गया, प्यारे बच्चों तुम्हारा बुरा हाल कर गया उत्प्रेरक रचना ने आज के बच्चों को मोबाइल से दूर रहने के लिए आह्वान किया। ख्यातिलब्ध कवि डा. गजाधर शर्मा गंगेश ने संवेदनशील मन की व्यक्त भावोद्गार है कविता, सामाजिक-सांस्कृतिक-राष्ट्रीयता की तार है कविता, कुहुकती कोयल के स्वर, कहीं गुंजार भंवरों के, कहीं आंसू, कहीं जंग की तलवार है कविता के साथ-साथ एक बिरह दीप सा हम जलकर भी मैं आंखों का काजल न मैं बन सका। प्यासी धरती से उसने पुकारा मैं सावन का बादल नहीं बन सका की सभी श्रोताओं ने सराहा। औषधीय पंडित रंग बहादुर सिंह ने कजरी सखि सांवर गोर ललनवा बिहरे बीच बगनवा न को सराहा गया। डा. बालेश्वर विक्रम ने रोटी की गुलाई से शुरू होकर अंतरिक्ष की स्पेश सोसायटी पर खत्म होता है। रोटी के साथ नमक-मिर्च का सिद्धांत गढक़र संसार का स्वाद बढ़ाया जाता है की प्रस्तुति हुई। डा. विजय नरायण तिवारी ने चिन्तित जी क नेवता आईल तोहें बाटी चोखा खियाइब। घर पहुंचे मेहर मिल ली, कहली आव तुझेे लतियाई पर खूब तालियां बजी। तत्पश्चात धाॢमक राजधानी में बसा विश्वनाथ का धाम है, घाटों का शहर गलियों का नगर दूजा जिनकी पहचान है की प्रस्तुति की। यशवंत यादव और कृष्णा नंद चतुर्वेदी ने मुहब्बत की उम्मीद तुमसे लगी है, वही आग सीने में फिर जल पड़ी है। मुझे इश्क में अब नहीं तुम सताओं, सनम तुमसे मिलनेे की आशा लगी है, पर खूब तालियां बजी। विख्यात कवि अनंत देव पांडेय साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद्र जी को श्रद्घांजलि देते हुए उन्होंने दी है जो नसीहत कभी नहीं भूलेंगे और नाव पानी के बिना चलती नही, हो कोई जो स्वार्थ के पीछे पड़ा, दाल उनकी गलती के क्रम में जो मुहब्बत प्यार से मिलती नही, वो कभी भी फूलती-फलती नही, मर मिटे दिन रात कोई ठेल कर, नाव पानी के बिना चलती नही, उक्त उत्प्रेरक कविता को सभी ने सराहा। संचालक निर्भीक ने दहेज प्रथा पर कटाक्ष करते हुए बाप की आंखों से आंसू बह गया, चली गई इज्जत क्या बाकी रह गया से सभी को मर्माहत कर दिया। डा. रणविजय सिंह ने 31 जुलाई 1880 में जन्मे धनपत राय उर्फ मुंशी प्रेमचंद्र जी के स्वाभिमान स्वभाव, समाज की कुरीतियों/विषमताओं के विरु द्घ विद्रोह क्रम में तुलसी और कबीर के बाद चिन्हित किया। डा. सिंह ने इनके साहित्यिक कार्यकाल 1918 से 1936 का उल्लेख करते हुए समसामयिक प्रासंगिक लेखन, गोदान सहित दर्जनों सुप्रसिद्ध रचनाओं को संक्षेप में प्रस्तुत किया। विकासोन्मुख काव्य गोष्ठी के अध्यक्ष डा. पीएन जायसवाल चिंतित बनारसी ने जीव-जंतु संरक्षण की आवश्यकता बताते हुए मेरा घर आबाद रहे ये बोल रहा था तोता। एक हाथ में नाती हो और एक हाथ में पोता और जंतुओं की सतर्कता को चिन्हित करते हुए वशर से ज्यादा परिंदा मिजाज रखता है, गुलेल उठाने से पहले उड़ान लेता है के बाद गजल फलक के नीचे जमी पर मेरा ठिकाना है, मरने के बाद मुझे अभी भी और नीचे जाना है की यथार्थ प्रस्तुति को खूब सराहा गया। धन्यवाद ज्ञापन करते मिशन जामवंत के राष्ट्रीय संयोजक/अध्यक्ष जिला पत्रकार समिति सूर्य कुमार सिंह ने आज के विषम स्थिति से निजात पाने के लिए एकमात्र विकल्प आशा की किरण गांव में रह रहे प्रबुद्ध बुजुर्गाें, अवकाश प्राप्त कर्मियों, अनुभवी विशेषज्ञों को जामवंत जी के रूप में चिन्हित/संगठित कराके देखा देखी पुण्य की तर्ज पर लाभकारी स्थानीय कृषि-उद्योग-सेवा व्यवसायों की ओर युवा बेरोजगारों और कुछ कर गुजरने की तमन्ना रखने वाली महिलाओं को हनुमान जी के रूप में उत्प्रेरित कराके ग्राम स्वराज्य के सपने को साकार रूप दिलाने दिलाने की अनिवार्यता बताई। गोष्ठी और सम्मान समारोह में जहां सभी कवियों, साहित्यकारों, विशेषज्ञों को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। वहीं मुख्य रूप से विनय कुमार दुबे, उमेश चंद्र राय, वंश नारायण राय, नरेंद्र उपाध्याय, अखिलेश्वर प्रसाद सिंह, विधि विशेषज्ञ गुड्डू जी, राजेश कुमार शर्मा, सुनील राय, कृष्णानंद दुबे सहित दर्जनों पत्रकार, साहित्यकार, शुभचिंतक एवं मिशन जामवंतन के पदाधिकारी और विशेषज्ञ उपस्थित रहे।

About Post Author