June 25, 2025

सृष्टि में जो भी है सब भगवान की उपासना के लिए है-गंगा पुत्र त्रिदंडी स्वामी

 

नोनहरा, बड़ा पोखरा,गाजीपुर में आयोजित चातुर्मास ब्रत के दौरान गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी ने कहा की
ब्रम्हा कहते है हे नारद संतान उत्पत्ति भी यज्ञ है। मैं सृष्टि नही कर रहा हु। सृष्टि रूपी यज्ञ कर रहा हु।सृष्टि में जो भी है सब भगवान के उपासना के लिए है।भोजन करना भी यज्ञ है। पंच प्राणाहुति देते है न,पहले आचमन ॐ अमृतोपस्तर्णमसी स्वाहा, ॐ प्रणाय स्वाहा, अपानाय स्वाहा, व्यनाय स्वाहा, उदानाय स्वाहा, समानाय स्वाहा। इसीलिए विधि पूर्वक किया गया भोजन भी यज्ञ है। उसी प्रकार प्रजोत्पति भी यज्ञ कहा गया है। जैसे कोई खूब सुंदर स्वादिष्ट लड्डू बना कर भगवान को भोग लगाने के लिए चला, उसी में से लुढ़क कर नाली में जा गिरा। वो नाली में जाने के लिए तो नही बना था न।पर दुर्भाग्य से नाली में गिर गया।अब भगवान को भोग धराने योग्य नही रहा।इसी प्रकार ब्रम्हा ने सृष्टि का थाल सजाके रखा है परमात्मा को भोग लगाने के लिए। क्योंकि भगवान भोक्ता है जीव भोग्य है। हम भोग लगाने जा रहे है इसी बीच कोई जीव विषय रूपी नाली में गिर जाता है,वो नाली का किट बन जाता है।और कोई जीव भगवान की भक्ति करके जब भगवत धाम में जाता है,तो ब्रम्हा प्रसन्न हो जाते है। समय समय पर मनु,ऋषि, पितर, दैत्य, मनुष्यों ने यज्ञ के द्वारा भगवान की उपासना की मैं भी सृष्टि विस्तार रूपी यज्ञ में लगा हुआ हू।

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