यदि कामना परक काम है, तब तो मुहूर्त देखने की जरूरत है। लेकिन अच्छे कर्म के लिए मुहूर्त देखने की कोई आवश्यकता नहीं-जीयर स्वामी
बलिया जनपद के जनेश्वर मिश्रा सेतु के एप्रोच मार्ग के पास आयोजित चातुर्मास ब्रत के दौरान श्री लक्ष्मी प्रपन्न पूज्य जीयर स्वामी जी ने उपस्थित श्रोताओं से कहा की अच्छे काम करने के लिए मुहूर्त नही देखना चाहिए। यदि कामना परक काम है, तब तो मुहूर्त देखने की जरूरत है। लेकिन अच्छे कर्म के लिए मुहूर्त देखने की कोई आवश्यकता नही है। बिना मुहूर्त के भी अच्छा काम करने पर लाभ प्राप्त होता है। फायदा होगा। लेकिन मुहूर्त में देखकर कुछ कार्य किया जाए तो विशेष लाभ होगा। उन्होंने बताया कि कोई जरूरी नही है की भगवान को अंत में याद करेंगे। जो निर्वाण पुरूष हो अपने मोह को, अपने संबंधियों से पूरे संसार से मुंह मोड़ लेना चाहिए और उन परमात्मा के स्नेह की ओर अपने मन को लगा लेना चाहिए। निर्वाण पुरूष का लक्षण है, दुनिया में अच्छे कर्मों को करके अपने में समेटना। श्रीमद्भागवत गीता में अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से पुछा है कि जो परमात्मा के अधिकारी हैं, उनकी क्या भाषा है। उनकी क्या बोल चाल है, क्या लक्षण है। तो भगवान ने बताया कि जो भगवान में सोता है, जगता है, खाता है, उठता है, बैठता है, इतना ही नही जैसे कछुआ अपने शरीर को फैलाकर जल में तैरता है। उसी प्रकार से जो स्थितप्रज्ञ होते हैं, भगवान के भक्त होते हैं। वे दुनिया में अनेक प्रकार के लोगों को संदेश देने के लिए कहीं यज्ञ करते हैं। कहीं मंदिर बनाते है इसके द्वारा जब समाज को संदेश दे देते हैं तो फिर अपने में समेटने लगते हैं। यही निर्वाण पुरूष का लक्षण है। गलत लोगों के संग में नही रहना चाहिए। इसलिए अपने आसनो को जीतना चाहिए। आप गलत लोगों के प्रभाव में नही आयें। गलत लोगों के प्रभाव में आकर आप कहीं गलत मार्ग पर न चलें। बल्कि आपके संग में रहकर गलत व्यक्ति सही मार्ग पर चलने लगे। यहीं जीतासन का मतलब है। दुसरा जीत स्वासन है, यदि आपका कोई अहित कर दे पर आप उसका अहित की भावना न करीए।