धर्म का आश्रय लेने से दो चीजे मिलती है अभ्युदय और कल्याण-गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी

गाजीपुर जनपद के नोनहरा, बड़ा पोखरा पर आयोजित चातुर्मास ब्रत के दौरान गंगापुत्र त्रिदंडी महाराज ने उपस्थित श्रोताओं से कहा की शरीर का ठंढ़ा पन होना ही मृत्यु है,ज्योहि अग्नि रूपी परमात्मा शरीर से निकलते है शरीर टंढा पड़ जाता है और शरीर का ठंढ़ा पन होना ही मृत्यु है।हमारे अंदर भी परमात्मा ने 10 प्रकार की हवा भर रखी है। पंच महाप्राण,प्राण ,अपान, ब्यान,समान, उदान,।पंच उपप्राण, क्रकला, देवदत, धनंजय, कूर्म, नाग। नौ बड़े बड़े होल,साढ़े सात सौ,करोड़ छिद्र,है। फिर भी ये पुतला घूम रहा है।

इसीलिए भगवान के कृतज्ञ रहना चाहिए कैसी भी स्थिति आ जाए,भगवान को नहीं भूलना चाहिए।धर्म और भगवान एक ही है,जिसने सबको धारण कर रखा है उसको धर्म कहते है।
धारणा धर्म मित्याहु धर्मो धारयते प्रजा:। धारण करने से इसको धर्म कहते है, सबको किसने धारण कर रखा है। श्री रामो विग्रह्वान धर्म। श्री राम मूर्ति मान धर्म है।
धर्म का आश्रय लेने से दो चीजे मिलती है।अभ्युदय और कल्याण।
