साधन संपन्न व्यक्ति को साधना संपन्न व्यक्ति के पास जा के झुकना चाहिए तभी साधन सास्वत रहता है, नहीं साधन सब नष्ट हो जाता है-त्रिदंडी स्वामी

साधन संपन्न व्यक्ति को साधना संपन्न व्यक्ति के पास जा के झुकना चाहिए तभी साधन सास्वत रहता है, नहीं साधन सब नष्ट हो जाता है-त्रिदंडी स्वामी
गाजीपुर जनपद के नोनहरा स्थित बर तर मे आयोजित चातुर्मास ब्रत के दौरान गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी ने कहा की भगवान ने पांडवों के साथ कुरुक्षेत्र में बावन दिनों से बाड़ों की सैया पर पडे हुए गंगा पुत्र भीष्म जी के चरणों में प्रणाम किया। क्योंकि अपने से बड़ों को प्रणाम करने से चार चीजे बढ़ जाती हैं,आयु,विद्या, यश,और बल,भगवान कृष्ण ने भीष्म से निवेदन किया आप इन्हे धर्म का उपेश दे, तब भीष्म जी ने पांडवों को धर्म का उपदेश दिया
दान धर्मान राज धर्मान,मोक्ष धर्मान विभागस:।
स्त्री धर्मान भगवत धर्मान समास व्यास योगातः।।
हे युधिष्ठिर आप सब गृहस्त है, गृहस्त व्यक्ति को अधिक से अधिक धन कमाना चाहिए और उसका दशांश धर्म में लगाना चाहिए, दशांश का मतलब अपने गृहस्त आश्रम की जितनी व्यवस्था हो जैसे बच्चे का फिश देना है, दूध,बिजली का बिल जमा करना है,उसके उपरांत जो धन बचता है,उसका दशांश धर्म में लगाना चाहिए। क्योंकि धन से धर्म नही करोगे तो रोग में चला जायेंगे, इसलिए
धनादि धर्म तत: सुखम। राज धर्म के बारे में बताया राजा का कोई माता,पिता,भाई नही होता पूरी प्रजा ही उसकी संतान है,इसलिए सब की बराबर सेवा करो,राजा के राज्य में अगर कोई अपराध कर रहा हो तो सामर्थ हो तो दंड देना चाहिए या शिर नीचे कर के चले जाना चाहिए,इतना सुनते ही द्रोपदी मुस्कुरा दी।भीष्म ने कहा तू हसी क्यों,द्रोपदी ने कहा वाह इस बाण की सैया पर लेटे लेटे बड़े धर्म का उपदेश कर रहे है। उस समय आपकी बुद्धि कहा थी,भरी सभा में सबसे ऊंचे सिंघासन पर आप बैठे थे,मैंने सबसे पहले आपको पुकारा हे भीष्म हमारी सुरक्षा करो, आप सिर नीचे कर के बैठे रहे।भीष्म ने कहा पुत्री मैंने दुष्ट दुर्योधन का अन्न खाया था इसीलिए बुद्धि खराब हो चुकी थी जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन।,लेकिन आज हमारी बुद्धि बड़ी सात्विक है,द्रोपदी ने क्षमा मांगा है,मोक्ष धर्म ,स्त्री धर्म के बारे में बताया स्त्री को पति के अनुकूल रहना चाहिए,स्त्री को शास्त्र में गज गामिनी कहा गया है जैसे हाथी बगल से गुजर जाता है पता नही चलता। ऐसे ही स्त्री को चलना चाहिए।
और शास्त्र में चंद्रमुखी कहा गया है, जैसे चंद्रमा संसार को शीतलता प्रदान करता है, वैसे ही पति जब घर में खेती, नौकरी व्यापार कर के आवे,तो उसे ठंढा एक ग्लास पानी देना चाहिए,ये नही की चार हजार का लिस्ट हाथ में धरा दो।ऐसे समास व्यास योगत:, संक्षिप्त और विस्तार से उपदेश कर के भगवान का दर्शन करते हुए भगवत धाम चले गए,
जन्म लाभ: परमं पुंशाम अनते नारायण स्मृति:।।