दिल्ली में मंकीपॉक्स का मरीज मिलने पर अलर्ट जारी, जानिए क्या है मंकीपॉक्स के लक्षण

दिल्ली में मंकीपॉक्स का मरीज मिलने पर अलर्ट जारी, जानिए क्या है मंकीपॉक्स के लक्षण
दिल्ली में मंकीपाक्स का मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें संचारी रोग अभियान के दौरान लोगों को मंकीपाक्स के लक्षण आदि बताएंगी।
इसके साथ ही उन्हें मोबाइल नंबर भी उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे इस बीमारी से जुड़ा कोई मरीज मिलता है तो वह फौरन स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क कर सके। इस बीमारी से बचाव के लिए सतर्कता जरूरी है। दिल्ली में मंकीपाक्स का पहला मरीज मिलने के बाद से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों में खलबली मची हुई है। सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ठाकुरद्वारा, डिलारी, भोजपुर, कुंदरकी, बिलारी, मूंढापांडे, ताजपुर, कांठ, पाकबड़ा, अगवानपुर समेत जिले के सभी चिकित्सकों को अवश्यक निर्देश जारी कर दिए हैं। उनसे कहा गया है कि मंकीपाक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है। जिसमें चेचक के समान लक्षण होते हैं। 1958 में अनुसंधान के लिए रखे गए बंदरों में इस रोग को पहली बार पाए जाने के कारण इसका नाम मंकीपाक्स रखा गया था। 31 मई तक भारत में मंकीपाक्स का कोई मरीज नहीं था। दिल्ली में पहला मरीज मिलने के बाद से खतरा बढ़ गया है। इसको लेकर लोगों को सावधानी बरतनी है। स्वास्थ्य कर्मचारी इसके बारे में जिले के सभी गांवों में लोगों को जागरूक भी करेंगे। सीएमओ डा. एमसी गर्ग ने बताया कि मंकीपाक्स एक से दूसरे को फैल सकती है। इसलिए सावधानी बरतने की जरूरत है। यह बीमारी जानवरों से फैली है।
मंकीपाक्स के लक्षण
<span;>- शरीर पर मोटे दाने
हाथ, कलाई, चेहरे, गर्दन, पैर के पंजे और टखने पर दाने होंगे
इन दोनों में मवाद भर होगा
बुखार होगा
आंख और उसके आसपास दाने
<span;>यह करें बचाव
परिवार के लोगों से मरीज को आइसोलेट करें
सार्वजनिक स्थलों पर जाने से बचेंं
संक्रमित रोगी के संपर्क में आने से बचें
गंभीर बीमार का रखें ख्याल
पहले से किसी बीमारी से पीड़ित मरीज की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इस वजह से उनका सबसे अधिक ख्याल रखना है। ऐसे बीमार लोग अगर मंकीपाक्स बीमारी की चपेट में आ जाते हैं तो उन्हें गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ेगा। इसलिए लोगों के संपर्क में आने से परहेज करना है।
पीपीई किट पहनकर होगी जांच
मंकीपाक्स के मरीज को सबसे पहले डाक्टर आइसोलेट करेंगे। मरीज को देखने जाने से पहले उन्हें पीपीई किट पहननी होगी। जिससे वह उनके संपर्क में जाने के बाद संक्रमित न हों सकें।