कारगिल विजय दिवस के अवसर पर कृतज्ञ राष्ट्र उन वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा जिन वीरों ने शौर्य एवं पराक्रम का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे

कारगिल विजय दिवस के अवसर पर कृतज्ञ राष्ट्र उन वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा जिन वीरों ने शौर्य एवं पराक्रम का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे
करोड़ों देशवासियों की आंखों में आज आंसू हैं और सिर गर्व से ऊंचा हो रहा है. जिन वीर योद्धाओं ने अपने खून से इस माटी को सींचा है, आज पूरा देश उनकी वीर गाथा गा रहा है.
1999 में जब पाकिस्तान ने पीठ पर वार करते हुए कारगिल द्रास समेत कई भारतीय भूभाग पर कब्जा कर लिया तो देश के वीर जवानों ने मोर्चा संभालते हुए न सिर्फ उन क्षेत्रों को फिर से हासिल किया बल्कि पाकिस्तान को हार का ऐसा स्वाद चखाया जिसे उसकी भगौड़ी और कायर सेना ताउम्र याद रखेगी. भारत कारगिल युद्ध (Vijay Diwas) जीतने की खुशी यानी 26 जुलाई को हर साल विजय दिवस के रूप में मनाता है. देश के कई वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति देकर भारत की आन-बान और शान को कायम रखा था. कारगिर युद्ध में देश के लिए अपनी जान लुटाने वालों सैनिकों की फेहरिस्त काफी लंबी है.
कैप्टन विक्रम बत्रा,कैप्टन अनुज नैय्यर,कैप्टन मनोज कुमार पांडेय,सुल्तान सिंह नरवरिया,मेजर राजेश सिंह
राइफल मैन संजय कुमार, मेजर पदमपानी आचार्य, शहीद लांस नायक करन सिंह, कैप्टन एन केंगुर्सू, मेजर विवेक गुप्ता, लांस नायक दिनेश सिंह भदौरिया, सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव. अपने खून से देश की रक्षा करने वाले शहीदों और वीरों की फेहरिस्त काफी लंबी है. इनकी बहादुरी और कुर्बानी को एक लेख में नहीं समेटा जा सकता है. पूरा देश इनके अमोघ बलिदान का ऋणी है. शायद इसलिए देश के ऐसे मतवाले वीरों के लिए कहा जाता हैं. शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा