रुद्राभिषेक में श्रृष्टि की समस्त मनोकामनायें पूर्ण करने की शक्ति है-आचार्य पंडित अभिषेक

श्रावण मास के मौके पर रूद्राभिषेक के इस फायदे को जानकर हैरान रह जाएंगे। ईश्वर, शिव, रूद्र, शंकर, महादेव सभी ब्रह्म के पर्यायवाची शब्द हैं। ब्रह्म का विग्रह-साकार रूप शिव है।
आचार्य पंडित अभिषेक तिवारी ने बताया की श्रावण मास के इस पावन मौके पर आपको भगवान शिव के रूद्रभिषेक के बारे में आवश्यक बात बताने जा रहे हैं। रुद्राभिषेक करने या वेदपाठी विद्वानों के द्वारा करवाने के पश्चात् प्राणी को फिर किसी भी पूजा की आवश्यकता नहीं रहती। क्योंकि- ब्रह्मविष्णुमयो रुद्रः, ब्रह्मा विष्णु भी रूद्रमय ही हैं।
शिवपुराण के अनुसार वेदों का सारतत्व, ‘रुद्राष्टाध्यायी’ है जिसमें आठ अध्यायों में कुल 176 मंत्र हैं, इन्हीं मंत्रों के द्वारा त्रिगुण स्वरुप रूद्र का पूजनाभिषेक किया जाता है शास्त्रों में भी कहा गया गया है कि ‘शिवः अभिषेक प्रियः’ अर्थात शिव को अभिषेक अति प्रिय है।
रुद्राष्टाध्यायी के प्रथम अध्याय के ‘शिवसंकल्पमस्तु’ आदि मंत्रों से ‘गणेश’ का स्तवन किया गया है द्वितीय अध्याय पुरुषसूक्त में नारायण ‘विष्णु’ का स्तवन है तृतीय अध्याय में देवराज ‘इंद्र’ तथा चतुर्थ अध्याय में भगवान ‘सूर्य’ का स्तवन है।
पंचम अध्याय स्वयं रूद्र रूप है तो छठे में सोम का स्तवन है इसी प्रकार सातवें अध्याय में ‘मरुत’ और आठवें अध्याय में ‘अग्नि’ का स्तवन किया गया है अन्य असंख्य देवी देवताओं के स्तवन भी इन्ही पाठमंत्रों में समाहित है। अतः रूद्र का अभिषेक करने से सभी देवों का भी अभिषेक करने का फल उसी क्षण मिल जाता है।
रुद्राभिषेक में श्रृष्टि की समस्त मनोकामनायें पूर्ण करने की शक्ति है अतः अपनी आवश्यकता अनुसार अलग-अलग पदार्थों से अभिषेक करके प्राणी इच्छित फल प्राप्त कर सकता है इनमें दूध से पुत्र प्राप्ति, गन्ने के रस से यश उत्तम पति/पत्नी की प्राप्ति।
शहद से कर्ज मुक्ति, कुश एवं जल से रोग मुक्ति, पंचामृत से अष्टलक्ष्मी तथा तीर्थों के जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है सभी बारह ज्योतिर्लिंगों पर अभिषेक करने प्राणी जीवन-मरण के बंधन से मुक्त होकर शिव में विलीन हो जाता है।
पिता दक्ष प्रजापति के घर शरीर त्यागने के पश्चात माता सती ने श्रावण में पुनः तपस्या करके शिव को पति रूप प्राप्त कर लिया था तभी से शिव को श्रावण का माह अति प्रिय है सम्पूर्ण श्रावणमाह शिव पृथ्वी पर वास करते हैं अतः इस महीने में रुद्राभिषेक करने से शिव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।